559 कोरोना संक्रमितों के घर पर पहुंचाए ऑक्सीजन सिलेंडर
जिले में अब तक 559 जरुरतमंद कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट व गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवाए जा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट व गंभीर रोगों से ग्रस्त रोगियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए सरकार ने उनके घर द्वार पर ही उनकी ऑनलाइन ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने की नीति बनाई है। जिले में अब तक 559 जरुरतमंद कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट व गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवाए जा चुके हैं। यह जानकारी डीसी डा. आदित्य दहिया ने दी।
उन्होंने बताया कि जिला रेडक्रॉस सोसायटी को घर-घर ऑक्सीजन सिलेंडर वितरण करने की जिम्मेवारी दी गई है। विभागीय पोर्टल पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए अप्लाई करने पर सरकार नई हिदायत अनुसार मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर दिए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा रेडक्रॉस के माध्यम से शुरू की गई यह सुविधा महामारी के बीच लोगों को बड़ी राहत पहुंचाई जा रही है। ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट व गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए अब उनके स्वजनों को ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए घर पर ही ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया जारी है।
उन्होंने बताया कि रेडक्रॉस की टीम व अन्य स्वयंसेवकों द्वारा अहम भूमिका निभाई जा रही है। यदि किसी व्यक्ति को डोर- टू- डोर ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए तो वह हेल्पलाइन नंबर 01681-247627 पर संपर्क कर सकता है। जरूरतमंदों को मास्क व दवाई दे रहे सुनील छाबड़ा
संसू, नरवाना: केमिस्ट सुनील छाबड़ा कोरोना के दौर में ना केवल दवाइयों को रियायती दरों पर बेच रहे हैं। बल्कि असहाय व जरूरतमंद कोरोना पीड़ितों को मास्क और दवाई मुफ्त में दे रहे हैं। जननायक जनता पार्टी के युवा जिलाध्यक्ष बिट्टू नैन ने इस कार्य के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अगर इस आपदा में हम सुनील छाबड़ा की तरह जरूरतमंदों की सेवा के लिए हाथ आगे बढ़ाएं, तो वह दिन दूर नहीं, जब हम देश से कोरोना को जल्दी भगाने में कामयाब होंगे। सुनील छाबड़ा से जब उनके इस पुण्य कार्य के बारे में जानना चाहा, तो उन्होंने बताया कि मेरे किसी रिश्तेदार को ऑक्सीमीटर की जरूरत पड़ी। मुझे भी एक मेडिकल स्टोर से वह 1400 रुपये का मिला। जबकि बाजार में उसकी कीमत 700-800 रुपये थी। उसके बाद मैंने सोच लिया कि जो भी थोड़ा-बहुत बन पड़ेगा, इस आपदा में जरूरतमंदों की मदद करूंगा।