रबी-खरीफ 2015 मुआवजा घोटाला दबाने में लगे अधिकारी
जुलाना तहसील के गांव मालवी में खरीफ 2014 व रबी 2015 की फसल खराब होने पर मुआवजा वितरण में हुए घोटाले को प्रशासनिक अधिकारी दबाने में लगे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, जींद: जुलाना तहसील के गांव मालवी में खरीफ 2014 व रबी 2015 की फसल खराब होने पर मुआवजा वितरण में हुए घोटाले को प्रशासनिक अधिकारी दबाने में लगे हुए हैं। एसडीएम जींद ने तीन साल बाद अपनी जांच रिपोर्ट डीसी को सौंप दी है, जिसमें तत्कालीन पटवारी सतीश कुमार, कानूनगो ईश्वर सिंह व तत्कालीन नायब तहसीलदार जुलाना अनिल कुमार व तत्कालीन तहसीलदार जुलाना दलीप सिंह खर्ब के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करने की सिफारिश की है। साथ ही, मुआवजा वितरण में राजस्व के नुकसान की आशंका भी जताई है और विजिलेंस जांच की अनुशंसा की है, लेकिन डीसी ने विजिलेंस जांच करवाने के बजाय सफीदों एसडीएम को दोबारा जांच सौंपकर दोषियों को बचाने का प्रयास शुरू कर दिया है।
गांव मालवी के किसान जयभगवान दलाल ने 2015 में डीसी को सौंपी शिकायत में कहा था कि जुलाना के तहसीलदार ने गरीब किसानों को मुआवजा बांटने में घोटाला किया है। सिर्फ मालवी गांव में ही 50 लाख रुपये के गोलमाल का अंदेशा जताया था। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि इस मामले में तहसीलदार ने झूठी रिपोर्ट पेश की थी। ईश्वर कानूनगो से जांच करवाई गई थी। जांच रिपोर्ट में जिन व्यक्तियों के आवेदन पर हस्ताक्षर दिखाए गए, उन सबने हाजिर होकर बयान दिया था कि उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। झूठी जांच रिपोर्ट सौंपने पर कानूनगो, पटवारी व जुलाना तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी। डीसी ने दिसंबर 2017 में डीसी ने एसडीएम को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। अब तीन साल एक महीने बाद एसडीएम ने डीसी को जांच रिपोर्ट सौंपी है, लेकिन वह भी आधी-अधूरी है। इस जांच रिपोर्ट में विजिलेंस जांच करवाने की अनुशंसा की गई है, लेकिन जांच रिपोर्ट की भाषा अधिकारियों को बचाने वाली है। एसडीएम ने जांच रिपोर्ट में खरीफ 2015 के मुआवजे की गड़बड़ी का जिक्र ही नहीं किया गया है, जबकि इसी मुआवजे में बड़ा गड़बड़झाला किया गया था। --जांच रिपोर्ट में अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल
एसडीएम जींद ने 23 अक्टूबर को डीसी को सौंपी जांच रिपोर्ट में कहा है कि खरीफ 2014 व रबी 2015 का मुआवजा गांव मालवी में नियमानुसार व सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार वितरित नहीं किया गया है। छांट रजिस्टर व संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध न होना भी पारदर्शिता पर प्रश्न चिह्न व लापरवाही का अंदेशा पैदा करता है। राजस्व रिकॉर्ड के अवलोकन पर पाया कि मुआवजा वितरण में दर्शाए नंबरों में से कुछ नंबर मुमकिन है, जो तत्कालीन राजस्व विभाग के पटवारी, कानूनगो व सीआरओ कम तहसीलदार की कार्यशैली पर संशय उत्पन्न करता है। वर्जन
एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में विजिलेंस से जांच करवाने की अनुशंसा की है। यह मामला अभी उनके ध्यान में नहीं है। वह कल दोबारा इसकी फाइल चेक करेंगे और दोषियों के खिलाफ नियमानुसार उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
डा. आदित्य दहिया, डीसी, जींद
मालवी व आसपास के गांवों में खरीफ 2014 व 2015 और रबी 2015 के मुआवजा वितरण में बड़ा गोलमाल किया गया है। बावजूद इसके अधिकारी दोषियों को बजाने में लगे हुए हैं। भ्रष्टाचारी अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में केस डालकर उनको सजा दिलवाएंगे व अपना हक लेकर रहेंगे।
जयभगवान दलाल, शिकायतकर्ता, गांव मालवी