Move to Jagran APP

बद्दोवाल टोल प्लाजा धरने में बढ़ रही महिलाओं की संख्या

बद्दोवाल टोल प्लाजा पर पिछले 16 दिन से चल रहे धरने में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। महिलाएं भी बढ़चढ़कर भाग ले रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 08:34 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 08:34 AM (IST)
बद्दोवाल टोल प्लाजा धरने में बढ़ रही महिलाओं की संख्या
बद्दोवाल टोल प्लाजा धरने में बढ़ रही महिलाओं की संख्या

संवाद सूत्र, नरवाना : बद्दोवाल टोल प्लाजा पर पिछले 16 दिन से चल रहे धरने में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। शनिवार को बद्दोवाल टोल प्लाजा पर दिये जा रहे धरने पर गांव हथो और भीखेवाला से 50 ट्रैक्टरों के साथ किसान पहुंचे। वहीं किसानों ने बैल-बुग्गी से भी यात्रा निकालकर किसान आंदोलन को मजबूती देने का काम किया। धरने पर महिलाओं और बच्चों की बढ़ती हुई संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। धरने पर गायक कलाकार गीतों के माध्यम से सरकार पर कटाक्ष कर रहे हैं।

loksabha election banner

शनिवार को धरने पर पहले दीनबंधु छोटूराम के महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। मुख्य वक्ता पवनजीत बनवाला व किसान नेता मास्टर बलबीर सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार हठधर्मिता व तानाशाही रवैये को छोड़कर लोकतंत्र में जनता के मर्म को समझते हुए तुरंत प्रभाव से कृषि कानूनों को रद करे। इस मौके पर रामचन्द्र दनौदा, सुनील बद्दोवाल, विजय धीमान, होशियार सिंह, कुलदीप गर्ग, सतबीर गुलाडी, रामफल नैन, करनैल मोर, मेवा सिंह पीटीआई, रिसाल सिंह मौजूद रहे।

जुलाना में राजा नाहरसिंह और सर छोटूराम को दी श्रद्धांजलि

संवाद सूत्र, जुलाना : बलिदान दिवस पर जुलाना में समाजसेवियों ने राजा नाहरसिंह और दीनबंधु सर छोटूराम को श्रद्धांजलि दी। समाजसेवी आनंद लाठर और सुदेश सहरावत ने कहा कि बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में शहीद होने वाले अग्रणी क्रांतिकारियों में शामिल थे। जिन्हें संधि का झांसा देकर दिल्ली बुलाने के बाद 9 जनवरी 1858 में चांदनी चौक (दिल्ली) में अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। दीनबंधु चौधरी छोटू राम ने ब्रिटिश शासन में किसानों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की हैं। छोटूराम को साल 1930 में दो महत्वपूर्ण कानून पास कराने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने आजीवन किसान, काश्तकार, दलित व लघु व्यापारियों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने गांव में रहने वाले गरीब लोगों के कल्याण के लिए 38 कृषि कानून तत्कालीन ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाकर कानून पास करवाए, जो किसानों और मजदूरों के लिए नया सवेरा लेकर आए और कानूनों के चलते किसानों को साहूकारों के शोषण से मुक्ति मिली।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.