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अब समय काले अंग्रेजों से देश को आजाद करवाने का: प्रदीप मोर

किसानों ने सर छोटूराम को श्रद्धासुमन अर्पित कर दी श्रद्धांजलि संवाद सूत्र नरवाना किसान आंदोल

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 08:01 AM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 08:01 AM (IST)
अब समय काले अंग्रेजों से देश को आजाद करवाने का: प्रदीप मोर
अब समय काले अंग्रेजों से देश को आजाद करवाने का: प्रदीप मोर

किसानों ने सर छोटूराम को श्रद्धासुमन अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

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संवाद सूत्र, नरवाना : किसान आंदोलन के समर्थन में बद्दोवाल टोल पर दिए जा रहे धरने की शुरूआत सर छोटूराम जयंती के अवसर पर छोटूराम को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए की। धरने की अध्यक्षता महेंद्र धर्मगढ़ ने की तथा क्रमिक अनशन पर जिले सिंह, चांदीराम बेलरखा, मंजीत बडनपुर, पिरथी तथा जगता चोपड़ा बैठे। धरनास्थल पर मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे पूव छात्र नेता प्रदीप मोर ने कहा कि सर छोटूराम ने किसानों के लिए संघर्ष किया और उनको अधिकार दिलवाने के लिए अंग्रेजों के साथ लड़े। उन्होंने कहा कि सर छोटूराम को किसान मसीहा के नाम से जाना जाता है और यही वजह है कि आज भी सर छोटूराम को किसानों द्वारा याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि छोटूराम की कही दो बातें, ए भोले किसान एक तो बोलना सीख ले और दूसरी, दुश्मन को पहचानना सीख ले। प्रदीप मोर ने कहा कि आज देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि देश का अन्नदाता अपने हकों के लिए सड़कों पर बैठा हुआ है और देश की गूंगी-बहरी सरकार उनकी बातों को सुन नहीं रही है। उन्होंने कहा कि कृषि के कालू कानूनों को रद्द करवाने के लिए 200 से अधिक किसानों ने अपनी शहादत दी है, बावजूद प्रधानमंत्री मोदी उनको आंदोलनजीवी कह उनका मजाक उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये काले कानून लागू होने से किसानों को अपनी जमीनों पर ही मजदूरी करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और देश पूंजीपतियों के हाथों चला जाएगा। उन्होंने किसानों का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने गोरे अंग्रेजों से देश को आजादी दिलवाई थी, लेकिन अब देश को काले अंग्रेजों से मुक्ति दिलवाने का समय आ गया है। इसलिए वो डटे रहें, क्योंकि ये उनकी असली परीक्षा का समय है और उनकी जीत निश्चित है और सरकार को काले कानून वापिस लेने के लिए घुटने टेकने पड़ेंगे। इस अवसर पर मा. बलबीर सिंह, होशियार सिंह, रणधीर मोर, मा. सतबीर, शीशपाल गुलाडी, जोगीराम बेलरखा, साहब सिंह पीपलथा, धर्मपाल चहल, डा. सुरेश, पिरथी चौपड़ा, टोनी रापडिय़ा, प्रदीप भीखेवाला सहित अनेक किसानों ने अपने विचार रखे।


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