Move to Jagran APP

पराली से बनेगी बिजली, ढाठरथ गांव में लग रहा प्लांट

हाथ से कटाई धान की पराली तो चारे में प्रयोग हो जाती है। लेकिन कंबाइन से कटाई धान की पराली के प्रबंधन को लेकर किसानों को दिक्कत रहती है। कंबाइन से कटाई फसल के अवशेष में आग लगाने के ज्यादातर मामले होते हैं। अब किसान कंबाइन से कटाई फसल के अवशेष भी बेच कर आमदनी प्राप्त कर सकेंगे

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 06:43 AM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 06:43 AM (IST)
पराली से बनेगी बिजली, ढाठरथ गांव में लग रहा प्लांट
पराली से बनेगी बिजली, ढाठरथ गांव में लग रहा प्लांट

बिजेंद्र मलिक, जींद

loksabha election banner

हाथ से कटाई धान की पराली तो चारे में प्रयोग हो जाती है। लेकिन कंबाइन से कटाई धान की पराली के प्रबंधन को लेकर किसानों को दिक्कत रहती है। कंबाइन से कटाई फसल के अवशेष में आग लगाने के ज्यादातर मामले होते हैं। अब किसान कंबाइन से कटाई फसल के अवशेष भी बेच कर आमदनी प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए कृषि विभाग ने जिले में आठ बेलर 50 प्रतिशत सब्सिडी पर दिए हैं। ये बेलर फसल अवशेष को इकट्ठा कर गांठ बनाता है। ढाठरथ गांव के पास जींद बायो एनर्जी के नाम से एक एजेंसी 53 कनाल 10 मरले में प्लांट लगा रही है। जो किसानों से पराली की गांठ खरीद कर बिजली बनाएगी। एजेंसी ने इसी सीजन से किसानों से पराली की गांठ 128 रुपये प्रति क्विटल के भाव खरीदना शुरू कर दिया है। एक एकड़ में 20 से 30 क्विटल पराली निकलती है। सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले नरवाना क्षेत्र में आते हैं। उसी क्षेत्र में आठ बेलर सब्सिडी पर दिए गए हैं। जिलेभर के किसान इन बेलर संचालकों से संपर्क कर पराली की गांठ बनवा सकते हैं। जिनके संपर्क नंबर कृषि विभाग की साइट पर दिए गए हैं।

474 कस्टम हायरिग सेंटर बनाए

जिले में पराली जलाने पर पूरी तरह से रोक लगे। इसके लिए जिले में पराली प्रबंधन को लेकर 474 कस्टम हायरिग सेंटर स्थापित किए गए हैं। जिनमें रोटावेटर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल ड्रिल समेत साढ़े पांच हजार कृषि यंत्र हैं, जिनसे धान कटाई के बाद अगली फसल की सीधे बिजाई की जाती है। कस्टम हायरिग सेंटर से किसान किराये पर कृषि यंत्र ले सकते हैं। वहीं इस साल नया कृषि यंत्र सुपर सीडर आया है। जिले में 700 सुपर सीडर सब्सिडी पर किसानों को दिए गए हैं।

किसानों को किया जा रहा जागरूक

कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर नरेंद्र पाल ने बताया कि जो गांव रेड जोन में शामिल हैं, वहां प्रशासन द्वारा दीवारों पर पेंटिग कर पराली जलाने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया गया है। सभी गांवों में जागरूकता कैंप भी लगाए गए हैं। ब्लॉक लेवल पर मीटिग लेकर सरपंचों को किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। पटवारी, ग्राम सचिव के साथ-साथ कर्मचारियों तथा अधिकारियों की गांवों में निगरानी के लिए ड्यूटी लगाई गई हैं।

54 जगह पराली जलने के मामले आए

पराली जलाने वालों पर सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। अब तक हरसेक ने आगजनी की 90 लोकेशन भेजी हैं। जिनमें से 54 जगह पराली जलने की लोकेशन सही पाई गई, जिसमें कुल 86 एकड़ में पराली जलाई गई है। उन किसानों पर जुर्माना किया गया है। इसमें से 13 एकड़ का 27500 रुपये जुर्माना रिकवर भी कर लिया गया है। पराली जलाने पर ढाई एकड़ तक ढाई हजार रुपये, ढाई से पांच एकड़ तक पांच हजार रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा में 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.