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संग्रहालय में इतिहास की बेकद्री, छत उखड़ी, भावी पीढ़ी अतीत से नहीं हो रही रूबरू

किसी भी संस्कृति कौम परंपरा कला नगर के गौरवशाली इतिहास से भावी पीढ़ी को रूबरू कराना उतना ही जरूरी है जितना वर्तमान के विकास पर गौरवान्वित होना।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 09:06 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 09:06 AM (IST)
संग्रहालय में इतिहास की बेकद्री, छत उखड़ी, भावी पीढ़ी अतीत से नहीं हो रही रूबरू
संग्रहालय में इतिहास की बेकद्री, छत उखड़ी, भावी पीढ़ी अतीत से नहीं हो रही रूबरू

कर्मपाल गिल, जींद

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किसी भी संस्कृति, कौम, परंपरा, कला, नगर के गौरवशाली इतिहास से भावी पीढ़ी को रूबरू कराना उतना ही जरूरी है, जितना वर्तमान के विकास पर गौरवान्वित होना। लेकिन पुरातात्विक विभाग की अनदेखी के चलते जींद की युवा पीढ़ी अपने अतीत से परिचित नहीं हो पा रही है। कारण यह है कि श्रीजयंती देवी मंदिर में बने पुरातात्विक संग्रहालय की बीते 13 साल से किसी ने सुध नहीं ली है।

संग्रहालय का उदघाटन दस साल पहले 28 जुलाई 2007 को तत्कालीन राज्यपाल डॉ. एआर किदवई ने किया था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इसके रखरखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। बारिश होने पर संग्रहालय की दीवार टपकती रहती है, जिससे यहां रखा सामान भी खराब हो रहा है। अंदर दीवारों पर लगी प्लाई भी कई जगहों से गल चुकी है। अब तो हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि बारिश में कभी भी संग्रहालय की छत गिर सकती है। संग्रहालय में इंट्री करते ही गहरा अंधेरा होता है। यहां की लाइटें लंबे समय से खराब हैं, जिससे लोग यहां लिखे जींद के इतिहास, तीर्थों के फोटो व उनके बारे में लिखी जानकारी नहीं पढ़ पाते। सरकार की तरफ से इन लाइटों को ठीक कराने के लिए भी बजट नहीं दिया जा रहा है। संग्रहालय के केयरटेकर राजेंद्र देशवाल हर सवाल पर यही कहते हैं कि मुख्यालय से ही बात कीजिए। ज्यादा कुरेदने पर इतना ही कहते हैं कि यहां रखे सामान की पूरी हिफाजत की जा रही है। इसकी छत बदलने और मरम्मत का प्रोजेक्ट सरकार के पास भेजा हुआ है। संग्रहालय की अनदेखी इतनी ज्यादा हो रही है कि कई साल से इसका द्वार भी दिखाई नहीं देता। अंजान को यह भी पता नहीं चलता कि यहां संग्रहालय भी है या नहीं। जब संग्रहालय शुरू हुआ, तब सड़क से ही यह दिख जाता था। लेकिन कई साल पहले मंदिर की कमेटी ने बड़ा हॉल बना दिया है। इस कारण बाहर से आने वालों को यह भी पता नहीं है कि संग्रहालय है या नहीं। --महत्वपूर्ण इतिहास समेटे हुए है संग्रहालय

संग्रहालय में जींद स्टेट के महाराजा रणबीर सिंह और मुख्यमंत्री बहादुर सरदार शमशेर सिंह के फोटो, भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों के आधार पर रखे गए जिले के 41 गांवों के नामों की सूची, जींद राज्य की मोहर लगी डाक टिकट सहित पोस्ट कार्ड और स्टाम्प पेपर, सैकड़ों साल पुराने मटके, हजारों साल पुराने बर्तन सहित जींद जिले और आसपास की अनगिनत धरोहरें जयंती पुरातात्विक संग्रहालय में संजो कर रखी हुई हैं। इतिहास के प्रति जिज्ञासा रखने वाले लोग और स्कूली बच्चे यहां आकर अपना ज्ञानार्जन कर रहे हैं। --लॉकडाउन के बाद इसकी सुध लेंगे: धानक

प्रदेश के पुरातात्विक मंत्री अनूप धानक ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन के बाद संग्रहालय की सुध ली जाएगी। वह खुद जींद दौरे पर आएंगे तो संग्रहालय का दौरा करेंगे। अधिकारियों से इसके सुधार का पूरा प्रोजेक्ट तैयार कराया जाएगा ताकि भावी पीढ़ी इतिहास से रूबरू हो सके।


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