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भक्ति वहीं सार्थक होती है, जिसमें स्वार्थ नहीं होता : जया किशोरी

हुडा ग्राउंड में नारायण सेवा संस्थान उदयपुर की शाखा नरवाना द्वारा आयोजित बाल व्यास जया किशोरी की तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन शहरवासियों ने नरसी का भात कथा सुनी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:30 AM (IST)
भक्ति वहीं सार्थक होती है, जिसमें स्वार्थ नहीं होता : जया किशोरी
भक्ति वहीं सार्थक होती है, जिसमें स्वार्थ नहीं होता : जया किशोरी

संवाद सूत्र, नरवाना : हुडा ग्राउंड में नारायण सेवा संस्थान उदयपुर की शाखा नरवाना द्वारा आयोजित बाल व्यास जया किशोरी की तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन शहरवासियों ने नरसी का भात कथा सुनी।

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जया किशोरी ने कहा कि नानी बाई रो मायरो की शुरुआत नरसी भगत के जीवन से हुई। नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे। भगवान शंकर की कृपा से उन्होंने ठाकुर के दर्शन किए। उसके बाद तो नरसी ने सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बन गए।

उन्होंने कहा कि कथा का एक मात्र सार ठाकुर को पाना है। इसके लिये हमारी भक्ति में अटल विश्वास होना चाहिए। किशोरी ने भगवान को अपने वश में करने का मंत्र बताते हुए कहा कि प्रेम ही एकमात्र ऐसा जरिया है, जिससे प्रभु को बड़ी आसानी से पाया जा सकता है। भक्ति वहीं सार्थक होती है, जिसमें स्वार्थ नहीं होता।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोग प्रभु को केवल अपना कार्य पूरा कराने के लिए याद करते हैं। अपना कार्य पूरा होते ही भगवान को भूल जाते हैं। कथा के साथ ही लोगों ने नृत्य नाटिका मंचन का आनंद लिया। नरसी का अंजार नगर की ओर प्रस्थान आदि प्रसंगों की जीवंत व अनोखी झांकियां प्रदर्शित की गई।

इस अवसर पर धर्मपाल गर्ग, रमेश मित्तल, जयभगवान, संजय मित्तल, अभय मित्तल, संजय भारद्वाज, नरेश वत्स ,रमेश, कर्मचंद मित्तल, अचल मित्तल मौजूद थे।


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