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रेहड़ियों के लिए स्थाई जगह तय नहीं कर पाई नगर परिषद, बंदर पकड़ने का टेंडर भी नहीं चढ़ रहा सिरे

नगर परिषद के ढुलमुल रवैये के कारण शहर में जाम और बंदरों की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 07:30 AM (IST)
रेहड़ियों के लिए स्थाई जगह तय नहीं कर पाई नगर परिषद, बंदर पकड़ने का टेंडर भी नहीं चढ़ रहा सिरे
रेहड़ियों के लिए स्थाई जगह तय नहीं कर पाई नगर परिषद, बंदर पकड़ने का टेंडर भी नहीं चढ़ रहा सिरे

जागरण संवाददाता, जींद : शहर में इस समय जाम और बंदरों की बड़ी समस्या है। लेकिन नगर परिषद के ढुलमुल रवैये के कारण इसका समाधान नहीं हो पा रहा है। शहर में जगह-जगह सड़क किनारे लगी रेहड़ियों को सड़क से दूर प्वाइंट तय करके स्थाई जगह उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई थी, ताकि सड़क का पूरा रास्ता खुला रहे। वहीं बंदरों का मुद्दा भी हाउस की हर मीटिग में पार्षद उठाते हैं। जिसके जवाब में नगर परिषद अधिकारी टेंडर लगाकर बंदरों को पकड़वाने की बात कहते हैं। अर्बन एस्टेट, हाउसिग बोर्ड, शिव कॉलोनी, स्कीम नंबर पांच व छह समेत कई कॉलोनियों में तो बंदरों के डर से लोग घर की छत पर भी जाने से डरते हैं। जिसके चलते मकानों पर लोहे व स्टील के जाल लगवाए हुए हैं, ताकि बंदर घर में ना घुस सकें। लेकिन करीब दो साल बीत जाने के बावजूद ना तो बंदरों को पकड़ने का टेंडर नगर परिषद दे पाई है और ना ही रेहड़ी वालों को स्थान निर्धारित करके जगह दी गई। वरिष्ठ नागरिक भी बंदरों व अन्य समस्याओं को लेकर प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं।

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रेहड़ी लगाने वालों का कराया सर्वे

शहर में कहां और कितने लोग रेहड़ी लगाते हैं। कब से रेहड़ी लगा रहे हैं, उनका मोबाइल नंबर व पता लेकर डाटा तैयार करना था। जिसके बाद उन्हें सुविधा के हिसाब से संबंधित एरिया में ही प्वाइंट निर्धारित करने थे। जहां उस क्षेत्र के सभी रेहड़ी लगाने वाले रेहड़ियां लगा सके, जिससे उनका काम भी प्रभावित ना हो। पिछले साल एजेंसी ने सर्वे कर जिला प्रशासन को लिस्ट भी सौंपी थी। तत्कालीन डीसी अमित खत्री ने एजेंसी द्वारा तैयार लिस्ट पर सवाल उठाते हुए दोबारा सर्वे करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद इसकी प्रक्रिया कितनी आगे बढ़ी। इसका अधिकारियों के पास भी स्पष्ट जवाब नहीं है।

बंदर पकड़ने के कई बार मांग चुके टेंडर

वहीं बंदरों को पकड़ने के लिए नगर परिषद कई बार टेंडर मांग चुकी है। कभी नियम आड़े आ गए, तो कभी टेंडर लेने के लिए कोई एजेंसी नहीं आई। पिछले साल टेंडर के लिए दो-तीन फर्म आई। लेकिन प्रति बंदर पकड़ने का रेट 800 रुपये से ज्यादा था। जिसके कारण नगर परिषद ने टेंडर रद कर दिया। उसके बाद दोबारा टेंडर मांगा गया। लेकिन एक्सइएन का तबादला होने की वजह से ये टेंडर नहीं खुल पा रहा है। जब तक टेंडर नहीं हो जाता, शहरवासियों को बंदरों का आतंक झेलना होगा।

वर्जन

जिस एक्सइएन के डोंगल से बंदर पकड़ने के लिए टेंडर लगाया था, उसका ट्रांसफर हो गया है। उसके बगैर टेंडर नहीं खोल सकते। इसलिए दोबारा टेंडर लगाया जाएगा। वहीं रेहड़ियों के सर्वे का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। नगर परियोजना अधिकारी इस मामले को देख रहे हैं। वही बता सकते हैं।

अरुण सिंह, ईओ, नगर परिषद, जींद


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