नागरिक अस्पताल में जिसका दाव लगा, उसी ने किया घोटाला, भगवान माफ नहीं करेगा
जिला विकास समन्वयक एवं निगरानी समिति की मीटिग में नागरिक अस्पताल की गड़बड़ियों का मुद्दा छाया रहा। सांसद रमेश कौशिक ने कहा कि अस्पताल में घोटालों के सिवाय कुछ नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, जींद : जिला विकास समन्वयक एवं निगरानी समिति की मीटिग में नागरिक अस्पताल की गड़बड़ियों का मुद्दा छाया रहा। सांसद रमेश कौशिक ने कहा कि अस्पताल में घोटालों के सिवाय कुछ नहीं हुआ। जिसका दाव लगा, उसी ने घोटाला किया। एनएचएम की भर्तियों की बात हो या कोरोना काल में पीपीइ किट खरीदने की बात हो, सब अधिकारियों ने अपनी जेब भरी हैं। हद तो यह है कि कोरोना काल में पीपीइ किट में भी गड़बड़ी हुई है। सांसद सुनीता दुग्गल ने नसीहत देते हुए कहा कि भगवान भी आपको माफ नहीं करेगा।
सांसद कौशिक और विधायक मिढ़ा ने नागरिक अस्पताल में होने वाली भर्तियों पर भी सवाल उठाए। एनएचएम के तहत ड्राइवरों की भर्ती में हुई गड़बड़ी के बारे में सिविल सर्जन से जानकारी मांगी। सिविल सर्जन डॉ. मंजीत सिंह ने बताया कि जांच में सामने आया है कि दो ड्राइवर गलत तरीके से लगे हैं, उन्हें हटाया जाएगा। ये भर्ती आउटसोर्सिंग के तहत ठेकेदार ने की है। इस पर कौशिक ने कहा कि ठेकेदार तो केवल नाम के होते हैं, भर्तियां तो सारी अधिकारी करते हैं। आउटसोर्सिंग पर काम 50 कर्मचारी कर रहे होते हैं और सेलरी 100 की निकलवाई जाती है। मिढ़ा ने कहा कि केवल एनएचएम नहीं बाकी भर्तियों में भी गड़बड़ी हुई है। पिछले दिनों हुई भर्ती का मामला उन्होंने उठाया और शिकायतकर्ता ने भी हिम्मत नहीं हारी। तब जाकर पूरे मामले का खुलासा हुआ। उन्होंने डीसी से कहा कि अस्पताल में हुई भर्तियों की जांच उच्च लेवल पर कराई जानी चाहिए।
पीपीई किट खरीद में भी घोटाला, 100-150 की चीज की 700 रुपये में दिखाते खरीद
सांसद रमेश कौशिक और सुनीता दुग्गल ने अपने कोटे से नागरिक अस्पताल को दी ग्रांट से की गई खरीद का हिसाब मांगा। सुनीता दुग्गल को बताया कि उन्होंने जो ग्रांट दी थी, उससे वेंटिलेटर और जरूरी सामान खरीदा गया। सांसद कौशिक के ग्रांट से खरीदे गए सामान का सिविल सर्जन सही जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले महीने ही चार्ज संभाला है। उनके ग्रांट से पीपीई किट खरीदी गई हो। बची हुई सात लाख रुपये की राशि से पीपीई किट खरीदने का ऑर्डर दिया हुआ है। सांसद कौशिक ने कहा कि 100 से 150 रुपये की होती है, लेकिन जिसका जहां मौका लगता है, पीपीई किट 600 से 700 रुपये में खरीद ली जाती है। इसके जवाब में सिविल सर्जन ने कहा कि कोरोना काल की शुरुआती समय में पीपीई किट, सैनिटाइजर व मास्क की काफी किल्लत थी। इसलिए महंगे दामों पर मिलती थी। उन्होंने खुद एन-95 मास्क निर्धारित रेट से ज्यादा रेट पर खरीदना पड़ा था। कौशिक ने उनकी बची हुई ग्रांट राशि से पीपीई किट ना खरीद कर वेंटिलेटर या किसी अन्य जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सामान खरीदने के निर्देश दिए।
मिढ़ा के आरोप पर डीसी का दोटूक जवाब
विधायक मिढ़ा ने कहा कि अस्पताल में एनएचएम भर्तियों में जमकर गड़बड़ी हुई है। इसमें भी बड़ी बात यह है कि डीसी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने यह सारी गड़बड़ियां की हैं। यह कहते ही डीसी ने तुरंत जवाब दिया कि वह अध्यक्ष जरूर हैं, लेकिन उनका इंटरव्यू से कोई लेना-देना नहीं होता है। एनएचएम भर्ती में गड़बड़ी का मामला भी जब उनके संज्ञान में आया तो सीएमओ से पूछे बगैर तुरंत भर्ती को रद किया और मुख्यालय में रिपोर्ट भेजी। उनकी रिपोर्ट पर ही सीएमओ को सस्पेंड किया गया था।