बगैर एनओसी के चल रही 80 से ज्यादा फैक्ट्री
फायर सेफ्टी विभाग ने जिले के जिन औद्योगिक इकाई और फैक्ट्री संचालकों को एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेने का 10 फरवरी तक का टाइम दिया था लेकिन अभी तक भी 80 से ज्यादा फैक्ट्री संचालकों ने विभाग से एनओसी नहीं ली है। फैक्ट्री को सील करने की चेतावनी के बाद भी महज 25 लोगों ने ही एनओसी ली तो ऐसे में माना जा रहा है कि इन फैक्ट्री संचालकों को विभाग का कोई डर नहीं है। इसके अलावा दो से तीन मंजिला भवनों में चल रहे कोचिग सेंटर संचालकों की भी एनओसी लेने में कोई रूचि नहीं है।
जागरण संवाददाता, जींद : फायर सेफ्टी विभाग ने जिले के जिन औद्योगिक इकाई और फैक्ट्री संचालकों को एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेने का 10 फरवरी तक का टाइम दिया था, लेकिन अभी तक भी 80 से ज्यादा फैक्ट्री संचालकों ने विभाग से एनओसी नहीं ली है। फैक्ट्री को सील करने की चेतावनी के बाद भी महज 25 लोगों ने ही एनओसी ली, तो ऐसे में माना जा रहा है कि इन फैक्ट्री संचालकों को विभाग का कोई डर नहीं है। इसके अलावा दो से तीन मंजिला भवनों में चल रहे कोचिग सेंटर संचालकों की भी एनओसी लेने में कोई रूचि नहीं है।
पिछले साल नवंबर-दिसंबर में डीसी डॉ. आदित्य दहिया के आदेशों पर फायर सेफ्टी विभाग, श्रम विभाग और जिला उद्योग केंद्र की तीन सदस्यीय कमेटी ने जींद, जुलाना, उचाना, सफीदों व नरवाना में जाकर फैक्ट्रियों की जांच और सर्वे किया था। 150 से ज्यादा फैक्ट्रियों के सर्वे में 100 से ज्यादा फैक्ट्रियों के पास फायर एनओसी नहीं मिली थी। जिनके पास एनओसी नहीं थी, उन्हें सील करने की चेतावनी देते हुए कमेटी ने फैक्ट्री संचालकों को 10 फरवरी तक का समय एनओसी लेने या एनओसी के लिए अप्लाई करने के लिए कहा था।
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चेतावनी के बाद भी 25 ने ही ली एनओसी
फायर सेफ्टी विभाग द्वारा 10 फरवरी तक एनओसी नहीं लेने पर संस्थान या फैक्ट्री को सील करने की चेतावनी देने के बाद भी केवल 25 लोगों ने ही एनओसी के लिए अप्लाई किया। बाकी फैक्ट्री संचालकों के कान पर इस चेतावनी का असर नहीं हुआ। दरअसल विभाग द्वारा नोटिस जारी करने से आगे कोई कार्रवाई नहीं की जा रही, इसलिए विभाग की चेतावनी को फैक्ट्री संचालक गंभीरता से ही नहीं लेते।
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उचाना और जुलाना क्षेत्र में चल रही बिना एनओसी के ज्यादा फैक्ट्रियां
उचाना और जुलाना क्षेत्रों में रिहायसी इलाकों में 50 से ज्यादा ऐसी फैक्ट्रियां चल रही है, जिनके पास न तो एनओसी है और न ही फायर सेफ्टी उपकरण। जींद शहर के रोहतक रोड और भिवानी रोड पर भी एक दर्जन से ज्यादा फैक्ट्रियां ऐसी चल रही हैं, जो रिहायसी इलाकों में हैं और नियमों को पूरा नहीं कर रही।
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यहां नहीं जान की परवाह, प्रतिस्पर्धा में छिप गई चिता
प्रतिस्पर्धा की दौड़ में जान की भी परवाह नहीं है। डीआरडीए के सामने की हुडा मार्केट हो या कोर्ट के सामने का हुडा कांप्लेक्स, यहां जितने भी कोचिग सेंटर हैं, किसी के पास भी फायर विभाग से ली गई एनओसी नहीं है। विभाग द्वारा चेतावनी का भी इन कोचिग सेंटर संचालकों पर कोई असर नहीं है। यहां हजारों विद्यार्थी हर रोज कोचिग के लिए आते हैं और संस्थान संचालकों की लापरवाही किसी की भी जान पर भारी पड़ सकती है।
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जिन फैक्ट्री संचालकों ने एनओसी नहीं ली, उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं। नोटिस के बाद भी फैक्ट्री संचालकों ने एनओसी नहीं ली तो फिर उनके संस्थानों को सील कर दिया जाएगा। कोचिग सेंटर संचालकों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
--सुनील कुमार, फायर सेफ्टी ऑफिसर, जींद