बंदरों से मिलेगी निजात, वन विभाग से मिली मंजूरी
लंबे समय से बंदरों की समस्या से जूझ रहे शहरवासियों को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद जगी है। नगर परिषद को बंदर पकड़ने के लिए वन विभाग की मंजूरी मिल गई है। अब नप इन्हें पकड़ने के लिए टेंडर मांगेगी। बंदरों को पकड़ कर अरावली की पहाड़ियों में छोड़ा जाएगा।
जागरण संवाददाता, जींद : लंबे समय से बंदरों की समस्या से जूझ रहे शहरवासियों को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद जगी है। नगर परिषद को बंदर पकड़ने के लिए वन विभाग की मंजूरी मिल गई है। अब नप इन्हें पकड़ने के लिए टेंडर मांगेगी। बंदरों को पकड़ कर अरावली की पहाड़ियों में छोड़ा जाएगा।
गौरतलब है कि शहर में बंदरों लंबे समय से आतंक है। हालात इतने खराब हैं कि अभिभावक बच्चे को घर के बाहर आंगन में अकेला नहीं छोड़ सकते हैं। बंदर कई लोगों पर हमला कर घायल कर चुके हैं। यह छतों पर सुखाए कपड़ों को उतार कर ले जाते हैं और घर में भी तोड़-फोड़ करते हैं।
हालात बहुत खराब
पिछले एक साल से तो हालात और भी गंभीर हो चुके हैं। बंदर झुंड बनाकर गलियों में बैठे रहते हैं। दैनिक जागरण द्वारा कई बार इस मामले को प्रमुखता से उठाया जा चुका है। कुछ महीने पहले नगर परिषद की हुई मी¨टग में बंदरों को पकड़ने के लिए प्रस्ताव पास किया गया था, लेकिन इसके लिए वन विभाग से मंजूरी लेनी जरूरी होती है। अब मंजूरी मिल गई है।
10 से 15 हजार बंदर होने का अनुमान
नगर परिषद के अनुसार शहर में 10 से 15 हजार बंदर हो सकते हैं। शहर की पाश कॉलोनी स्कीम नंबर पांच, छह, अर्बन एस्टेट, हाउ¨सग बोर्ड, रोहतक व भिवानी रोड पर बंदरों की समस्या ज्यादा है। बंदरों के डर से लोगों ने अपने मकानों पर लोहे व स्टील के जाल लगाए हुए हैं।
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शहर में बंदरों की समस्या गंभीर है। इन्हें पकड़ने के लिए पिछली मी¨टग में प्रस्ताव पास किया गया था। वन विभाग से इसके लिए मंजूरी मांगी गई थी। वहां से मंजूरी मिल गई है। अब टेंडर मांगे जाएंगे। जो भी सबसे कम रेट में बंदर पकड़ने के टेंडर लगाएगा, उसको टेंडर दिया जाएगा।
पूनम सैनी, प्रधान, नगर परिषद, जींद