मिड डे मील का बजट अब स्कूल खातों की बजाय भेजा जाएगा दुकानदारों के खाते में
-निदेशालय ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को लिखा पत्र जागरण संवाददाता जीं
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-निदेशालय ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को लिखा पत्र जागरण संवाददाता, जींद: राजकीय स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को मिड डे मील के तहत दोपहर का भोजन अभी मिलने नहीं लगा है, लेकिन उसकी व्यवस्था पर रार जरूर हो गई है।
निदेशालय अब बजट स्कूल खातों की बजाय सीधे खर्च का पैसा दुकानदारों के खाते में डालने की योजना पर काम कर रहा है। इसको लेकर दुकानदार व अन्य सामान देने वालों के बैंक खातों की डिटेल मांगी जा रही है। वहीं इस नई व्यवस्था पर शिक्षकों को एतराज है। उनका कहना है कि निदेशालय की नई व्यवस्था से परेशानियां झेलनी पड़ेगी। हर दुकानदार से अलग अलग सामान खरीदा जाता है। निदेशालय ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा है। इसमें तर्क दिया है कि कोरोना के चलते स्कूल बंद थे और मध्याह्न भोजन नहीं परोसा जाता था। कुकिग कोस्ट को एमआइएस डाटा के आधार पर स्कूली बच्चों के बैंक खातों में डाला जाता था। अब स्कूल खुले हैं तो मध्याह्न भोजन शुरू होगा। अगर पुरानी प्रक्रिया का अनुसरण करते हैं तो लंबी प्रक्रिया है। बहुत से स्कूलों में एक ही अध्यापक है, जिसे पहले से ही एडमिन बनाया हुआ है। इसके अतिरिक्त मैकर और चैकर की आइडी की आवश्यकता होती है जो लंबी प्रक्रिया हो जाती है। इसलिए उक्त चुनौतियों को कम करने के लिए जिला स्तर पर भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं। सभी जिलों में मैकर और चैकर की आइडी पहले से ही बनी हुई है। उन्हें सिर्फ प्रत्येक स्कूल के विक्रेता को जोड़ना होगा। स्कूल अपनी ओर से बीईओ को विक्रेता का सत्यापित विवरण प्रस्तुत करेंगे।
शिक्षकों का कहना है कि किरयाणा संबंधित सामान तो एक दुकान से आता रहता है, लेकिन दूध, लस्सी और सब्जी कभी किसी से लेनी पड़ती है तो कभी किसी से। ऐसे में हर बार अलग अलग लोगों से बिल लेने पड़ेंगे। इससे काम बढ़ने के साथ परेशानी भी बढ़ेगी।
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निदेशालय की तरफ से पत्र आया है, जिसमें मिड डे मील को लेकर सामान देने वाले दुकानदार व वेंडर की फार्म के साथ बैंक खाता नंबर संबंधित डिटेल मांगी गई है। अब मिड डे मील के लिए जो सामान खरीदा जाएगा, उसका पैसा सीधे फर्म के खाते में आएगा।
--सुशील कुमार जैन, खंड शिक्षा अधिकारी जींद।