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आज रात 12 बजे जन्मेंगे कान्हा, मंदिरों में कान्हा के लिए झूले सजाए

हिदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भादों माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिण नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 12 अगस्त को जन्माष्टमी है लेकिन पंचांग भेद के कारण कुछ जगहों पर श्रद्धालुओं ने मंगलवार को भी व्रत रखा तो कुछ श्रद्धालु बुधवार को व्रत रखेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 06:32 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 06:32 AM (IST)
आज रात 12 बजे जन्मेंगे कान्हा, मंदिरों में कान्हा के लिए झूले सजाए
आज रात 12 बजे जन्मेंगे कान्हा, मंदिरों में कान्हा के लिए झूले सजाए

जागरण संवाददाता, जींद : हिदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भादों माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिण नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 12 अगस्त को जन्माष्टमी है, लेकिन पंचांग भेद के कारण कुछ जगहों पर श्रद्धालुओं ने मंगलवार को भी व्रत रखा तो कुछ श्रद्धालु बुधवार को व्रत रखेंगे। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मंदिरों में झांकियां नहीं निकलेंगी। हालांकि मंदिरों में कान्हा के झूले भी सजाए गए। मंगलवार सुबह श्रद्धालु मंदिरों पहुंचे और भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप कान्हा के दर्शन किए। ज्यादातर मंदिरों में कृष्ण जन्म बुधवार रात 12 बजे होगा। शहर के जयंती देवी मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, सोमनाथ मंशा देवी मंदिर, श्रीरामा कृष्णा मंदिर, बनखंड महादेव मंदिर सहित कई मंदिरों में कान्हा के झूले तो लगाए गए हैं, लेकिन बहुत कम श्रद्धालु ही दर्शनों को आ रहे हैं। श्रद्धालुओं को मंदिरों में मास्क लगाकर आने की हिदायत दी गई है। जन्माष्टमी पर्व को लेकर बाजार भी फीका ही रहा है। केवल हनुमान गली में ही पर्व और व्रत को लेकर लोगों ने लड्डू गोपाल के लिए तरह-तरह की वस्तुओं को खरीद रहे हैं। कान्हा को पहनाए जाने वाले पीले रंग के वस्त्रों, बच्चों के लिए ड्रेस, माला आदि की खरीद न के बराबर हो रही है।

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श्रद्धालु जन्माष्टमी पर्व को दो दिन मना रहे : नवीन शास्त्री

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते पहले की तरह इस बार मंदिर को भव्य तरीके से नहीं सजाया गया है। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि पर हुआ था, ऐसे में इस बार 11 अगस्त को सुबह अष्टमी तिथि 7 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर 12 अगस्त की सुबह 7 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। इसलिए श्रद्धालु इस पर्व को दो दिन के तौर पर मना रहे हैं। मंदिर में अधिक श्रद्धालु इकट्ठा न हो पाएं, इसको लेकर भी वालंटियर्स की ड्यूटी लगाई गई है। रात 12 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक पूजा का सही समय माना गया है।


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