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पढ़ाई बंद होने से कोचिग सेंटरों पर लगे ताले, अब संचालक बेच रहे सामान

कोरोना वायरस शुरू होने से पहले फ्लैशबैक में चलते हैं। जींद शहर के बस स्टैंड पर सुबह से दोपहर तक हजारों छात्रों की भीड़ रहती थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 09:00 AM (IST)
पढ़ाई बंद होने से कोचिग सेंटरों पर लगे ताले, अब संचालक बेच रहे सामान
पढ़ाई बंद होने से कोचिग सेंटरों पर लगे ताले, अब संचालक बेच रहे सामान

कर्मपाल गिल, जींद

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कोरोना वायरस शुरू होने से पहले फ्लैशबैक में चलते हैं। जींद शहर के बस स्टैंड पर सुबह से दोपहर तक हजारों छात्रों की भीड़ रहती थी। इनमें से कुछ कॉलेज के छात्र होते थे तो बड़ी संख्या प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिग लेने वालों की होती थी। डीआरडीए के सामने हुडा मार्केट में ही छोटे-बड़े करीब 20 कोचिग सेंटरों में दिनभर भीड़ लगी रहती थी। सुबह अखबार खोलते ही कोचिग सेंटरों के कोर्सेज पंफ्लेट निकलते थे। कोरोना के झटके ने यह पूरी तस्वीर बदल दी है। जिलेभर में करीब 98 फीसदी कोचिग सेंटर बंद हो चुके हैं। हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि अब अखबार खोलते ही इन कोचिग सेंटरों की उपलब्धियों के बजाय इनका सामान बेचने वाले पंफ्लेट निकल रहे हैं। डीआरडीए के सामने खुले सभी कोचिग सेंटर बंद हो चुके हैं। ज्यादातर ने अपना सामान भी बेचना निकाल दिया है। पंफ्लेट के माध्यम से प्रोजेक्टर, बेंच, जनरेटर सेट, डेस्क, बेंच, सोफा, ऑफिस टेबल व चेयर, एसी, स्टैबलाइजर, फैन, व्हाइट बोर्ड, साउंड सिस्टम, बुक रेक, अलमारी सहित सारा बेच रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक कोचिग सेंटर संचालक ने बताया कि जींद शहर में दो-तीन कोचिग सेंटरों को छोड़ दें तो सभी किराए के भवन में चल रहे थे। कोरोना के चलते स्कूल, कॉलेज, कोचिग सेंटर बंद हैं। उम्मीद थी कि दो-तीन माह बाद खुल जाएंगे। लेकिन सरकार ने सालभर तक नई भर्तियां न करने का ऐलान करके सारी उम्मीदें खत्म कर दी। ऐसे में बच्चे न आने पर किराया, बिजली-पानी बिल, शिक्षकों की सेलरी सहित दूसरे खर्चे कहां से निकालते। इस कारण सामान बेचकर सेंटर को खाली करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

जींद में करीब 100 कोचिग सेंटर बंद

जींद शहर में करीब छोटे-बड़े करीब 100 कोचिग सेंटर थे। इनमें करीब एक से सवा लाख युवा पढ़ते थे। इनमें बड़ी संख्या गांव के युवाओं की थी। ज्यादातर युवा केंद्र व प्रदेश सरकार की नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते थे। कुछ कोचिग सेंटरों ने कोरोना के बाद ऑनलाइन क्लासेज भी शुरू की, लेकिन ज्यादातर बच्चे इनसे जुड़ नहीं पाए। उनके लिए यह नया सेगमेंट था। कुछ सेंटर ऑनलाइन का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं जोड़ पाए। इस कारण सभी कोचिग सेंटर बंद हो गए।

पांच हजार शिक्षकों सहित 9 से 10 हजार लोग हुए खाली

कोचिग सेंटर बंद होने से इनमें पढ़ाने वाले शिक्षकों सहित दूसरे काम करने वाले हजारों युवा भी खाली हाथ हो गए हैं। एक कोचिग सेंटर संचालक ने बताया कि जिलेभर में औसतन करीब 450 से ज्यादा कोचिग सेंटर थे। एक कोचिग सेंटर में करीब औसतन 20 कर्मचारी मानें तो 9 से 10 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ था। इन सेंटरों में पढ़ाने वाले शिक्षक 20 से 50 हजार कमा रहे थे तो रिसेप्शन, चपरासी, कंप्यूटर ऑपरेटर भी 8 से 10 हजार रुपये कमाते थे। अब ये सभी बेरोजगार हो गए हैं।

कमाई तो दूर, घाटे का हो गया था सौदा

एक कोचिग सेंटर संचालक ने बताया कि सालभर तक नई नौकरियों के फार्म नहीं निकलेंगे। इस कारण बच्चे भी नहीं आने हैं। जबकि मासिक ऐसे में मासिक खर्च बहुत ज्यादा था। शिक्षकों का वेतन, किराया, अखबार, बिजली, टेलीफोन व पानी का बिल आदि खर्चे कहां से पूरे करते। इन हालात में कमाई तो दूर, ये घाटे का सौदा बन गए थे। इस कारण मजबूरी में इन्हें खाली करना पड़ा। जींद में सिर्फ वही कोचिग सेंटर बचे हैं, जो संचालकों की खुद की बिल्डिंग में हैं। बाकी सब बंद हो गए हैं।


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