खरकरामजी में शौचालयों में भरे हुए थे उपले, सरपंच कविता ने बदली ग्रामीणों की सोच
शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर गोहाना रोड ¨लक मार्ग स्थित खरकरामजी गांव की ग्रेजुएट सरपंच कविता देवी ने शौचालय के प्रति लोगों की सोच को ही बदल दिया। लोगों ने सार्वजनिक स्थानों और मकानों में बने सार्वजनिक शौचालयों में उपले भरे हुए थे। इन शौचालयों से उपले निकलवा कर उनके प्रयोग के लिए प्रेरित किया।
बिजेंद्र मलिक, जींद
शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर गोहाना रोड ¨लक मार्ग स्थित खरकरामजी गांव की ग्रेजुएट सरपंच कविता देवी ने शौचालय के प्रति लोगों की सोच को ही बदल दिया। लोगों ने सार्वजनिक स्थानों और मकानों में बने सार्वजनिक शौचालयों में उपले भरे हुए थे। इन शौचालयों से उपले निकलवा कर उनके प्रयोग के लिए प्रेरित किया।
कविता ने बताया कि जब उन्होंने गांव की सरपंची संभाली, उस समय गांव के 85 प्रतिशत गांव में शौचालय तो बने हुए थे, लेकिन ज्यादातर लोग बाहर ही शौच के लिए जाते थे। सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय बनाने के साथ लोगों को खुद के घरों में शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया। ग्रामीणों को प्रोत्साहित करते हुए 50 से ज्यादा घरों में शौचालय बनवाए। वहीं आंगनबाड़ी, चौपाल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय बनवाए। लोग खुले में शौच के लिए नहीं जाएं, इसके लिए आंगनबाड़ी और आशा वर्करों के साथ मिल कर अभियान शुरू किया। सुबह रैलियां निकाली गई। इसका असर ये हुआ कि ज्यादातर घरों में शौचालय बन गए और खुले में शौच के लिए जाने की लोगों की सोच में काफी फर्क आया।
अच्छी सोच का प्रतीक शौचालय
डीडीपीओ राजेश कौथ ने बताया कि खरकरामजी गांव में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है। महिला सरपंच कविता ने खुद मौके पर खड़े रह कर गांव में 50 से ज्यादा शौचालय बनवाए। शौचालय हमारे भविष्य के लिए जरूरी है। जैसे मंदिर जरूरी हैं। उसी तरह शौचालय जरूरी है। अच्छी सोच का प्रतीक है शौचालय। हमारे स्वास्थ्य और इज्जत दोनों के लिए भी ये जरूरी है।