सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए किसान विधायकों पर दबाव बनाएगी खाप
किसान आंदोलन में प्रदेशभर से भागीदारी बढ़ाने और आंदोलनकारी किसानों के लिए राशन व आर्थिक मदद की रणनीति बनाने के लिए मंगलवार को अर्बन एस्टेट स्थित जाट धर्मशाला में खापों की महापंचायत हुई।
जागरण संवाददाता, जींद : किसान आंदोलन में प्रदेशभर से भागीदारी बढ़ाने और आंदोलनकारी किसानों के लिए राशन व आर्थिक मदद की रणनीति बनाने के लिए मंगलवार को अर्बन एस्टेट स्थित जाट धर्मशाला में खापों की महापंचायत हुई, जिसमें बिनैन खाप, हिसार की सतरोल खाप, चहल खाप, कंडेला खाप, पंघाल खाप, सहारण खाप, नांदल खाप, ढुल खाप, पंचग्रामी खाप, नौगामा खाप, किनाना बारहा खाप, चौगामा खाप, जाट महासभा, पूनिया खाप समेत विभिन्न खापों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि गांवों से दूध व राशन दिल्ली भेजा जा रहा है और किसान भी आंदोलन में शामिल होने दिल्ली जा रहे हैं। खाप नेताओं ने कहा कि आंदोलन की पहल पंजाब ने की है। जबकि हरियाणा दिल्ली के नजदीक था, इसलिए पहल हरियाणा को करनी चाहिए थी। आंदोलनकारियों की हर तरह की मदद की जाएगी। अगर सरकार ने आंदोलनकारियों के साथ कुछ गलत किया, तो वे पीछे नहीं हटेंगे। इसके लिए गांवों में माहौल तैयार किया जाएगा। सूबे सिंह समैण ने कहा कि किसान विरोधी कृषि कानूनों के विरोध में शांतिपूर्वक दिल्ली जा रहे किसानों को पंजाब सरकार ने नहीं रोका।
हरियाणा में मनोहर सरकार ने उन पर अत्याचार किया। इसलिए सरकार को चलता करने के लिए किसान वर्ग से जुड़े विधायकों पर प्रदेश सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा। संबंधित हलके के लोग विधायकों से मिलेंगे और समर्थन वापस लेने की मांग करेंगे। इसके लिए कमेटियां गठित की जाएंगी। अगर वे नहीं मानेंगे तो उनका साथ नहीं दिया जाएगा और भविष्य में उनकी गांवों में इंट्री बैन की जाएगी। महापंचायत में सर्व खाप पंचायत के प्रवक्ता सूबे सिंह समैण, रघुबीर नैन, सूरजमल, दलजीत पंघाल, वीरेंद्र, ईश्वर कंडेला, ओमप्रकाश सांगवान व अन्य नेताओं ने संबोधित किया।
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सीएम के बयान की निदा
महापंचायत में सीएम के बयान की निदा की गई। जिसमें उन्होंने कहा था कि आंदोलन में हरियाणा का किसान शामिल नहीं है। खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि नए कृषि कानूनों का हरियाणा के किसान शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। हरियाणा व पंजाब कृषि प्रधान राज्य हैं। इसलिए यहां विरोध ज्यादा है। अगर सरकार ने बिल में संशोधन नहीं किया या इस बिल को वापस नहीं लिया, तो बाकी राज्यों के किसान भी इसके लामबंद होंगे।
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सरपंच भी उतरे सरकार के विरोध में
महापंचायत में कई गांवों के सरपंच भी मौजूद रहे। सरपंच एसोसिएशन जींद ब्लॉक प्रधान संदीप रूपगढ़ ने कहा कि ये कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं। अगर सरकार ने जल्द ही इन्हें वापस नहीं लिया, तो वे सरपंची सरकार को संभलवा कर आंदोलन में शामिल होंगे। गांवों से 36 बिरादरी से जुड़े किसान व अन्य वर्ग इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं।
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किसान ही सुलझाएंगे एसवाईएल का मुद्दा
कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए आंदोलन के बीच एसवाईएल का मुद्दा भी उछलने लगा है। खाप नेताओं ने कहा कि सरकार आंदोलन को कमजोर करने के हथकंडे अपना रही है और एसवाईएल का मामला उछाल कर पंजाब व हरियाणा के किसानों में फूट डालना चाहती है। लेकिन दोनों राज्यों के किसान एकजुट हैं। एसवाईएल का मामला भी दोनों राज्यों के किसान ही सुलझाएंगे।