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कुश्ती से शुरुआत की, लड़कों संग खो-खो खेली, कबड्डी में 25 बार नेशनल खेली, अब डिप्टी डायरेक्टर

26-जींद। पिता के साथ दुलार करती कविता। सौजन्य कविता।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 09:21 AM (IST)
कुश्ती से शुरुआत की, लड़कों संग खो-खो खेली, कबड्डी में 25 बार नेशनल खेली, अब डिप्टी डायरेक्टर
कुश्ती से शुरुआत की, लड़कों संग खो-खो खेली, कबड्डी में 25 बार नेशनल खेली, अब डिप्टी डायरेक्टर

कर्मपाल गिल, जींद:

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नेशनल स्टाइल महिला कबड्डी में 15 साल से देश का नाम रोशन कर रही कविता सिवाच को प्रदेश सरकार ने खेल विभाग में डिप्टी डायरेक्टर बनाया है। कविता ने अपनी उपलब्धियों के बूते कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर यह नौकरी हासिल की है। कविता का संघर्ष वीर रस की कविता की तरह है। उसके संघर्ष में उत्तेजना है, गर्जना है, जोश है और आत्मविश्वास है।

जींद के गांव पड़ाना की बेटी कविता ने बचपन से ही संघर्ष करना सीखा है। जब वह चौथी कक्षा में पढ़ती थी, तभी से ग्राउंड पर जाना शुरू कर दिया था। शुरू में गांव के स्कूल में लड़कों के साथ खो-खो खेलती थी। छठी में खेल स्कूल निडाना में दाखिला लिया और कुश्ती के दाव-पेंच लगाने शुरू किए। करीब तीन साल तक कुश्ती की और इस दौरान जूनियर नेशनल में पदक भी झटके। कंधे की इंजरी बढ़ने के कारण कुश्ती करना छूट गया। लेकिन कविता ग्राउंड से दूर नहीं रह सकती थी। इसलिए कबड्डी खेलना शुरू कर दिया। पिता किसान थे और ज्यादा खर्च नहीं उठा सकते थे, ऐसे में निडानी खेल स्कूल के प्रबंधक दलीप मलिक ने खूब आर्थिक सहयोग किया। कविता की प्रतिभा को देखते हुए फीस माफ कर दी। कविता ने भी पहले साल से ही कबड्डी में शानदार प्रदर्शन किया। वर्ष 2005 में पहली बार नेशनल खेला और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। पांच बार इंटरनेशनल और 28 बार नेशनल गेम्स में दम दिखाकर अवार्ड जीते। ------------- --दो साल पहले कोर्ट में किया था केस

कविता के पति राजू सहरावत ने बताया कि कविता का खेल रिकॉर्ड शानदार रहा है। बावजूद इसके न तो हुड्डा सरकार ने नौकरी दी और न वर्तमान प्रदेश सरकार ने। जबकि उसके समकक्ष खिलाड़ी डीएसपी बनाए गए। इससे दुखी होकर दो साल पहले कोर्ट में केस किया था। अब सरकार ने उन्हें डिप्टी डायरेक्टर बनाया है। इस पर उन्होंने खेल मंत्री संदीप सिंह व मुख्यमंत्री मनोहरलाल का धन्यवाद किया।

---------------- --तब घर पर नहीं था टीवी, पड़ोसियों के घर देखा मैच

वर्ष 2016 में दक्षिण कोरिया में हुए 17वें एशियाई खेलों में भारतीय कबड्डी टीम ने इराक को 31-21 से हराकर गोल्ड मेडल जीता था। तब भारतीय टीम की स्टार खिलाड़ी कविता सिवाच के परिवार की आर्थिक परिस्थितियां इतनी कमजोर थी कि घर पर टीवी नहीं होने के कारण घरवालों को उसका फाइनल मैच भी पड़ोसी के घर टीवी पर देखना पड़ा था। कविता नेशनल में कई बार कैप्टन भी रही है।

----------- --कविता की उपलब्धियां

--वर्ष 2009 में मलेशिया में जूनियर एशियन कबड्डी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।

--वर्ष 2011 में श्रीलंका में पहले साउथ एशियन बिच गेम्स में गोल्ड मेडल।

--वर्ष 2012 में कोरिया में हुए बिच कबड्डी गेम्य में गोल्ड मेडल जीता।

--वर्ष 2012 में पटना में हुए पहले वूमन विश्व कप में गोल्ड मेडल जीता।

--वर्ष 2014 में साउथ कोरिया में हुए एशियाड गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।

--छह आपरेशन हुए, जल्द मैट पर उतरेगी

कविता ने बताया कि उसके अब तक छह आपरेशन हो चुके हैं। दो बार दाएं पैर और एक बार दाएं पैर का आपरेशन हुआ है। एक बार एपेंडिक्स का आपरेशन हुआ। दोनों बेटियां भी आपरेशन से हुई। आपरेशन के दौरान वजन 90 किलो से ऊपर पहुंच गया था। तब पति राजू सहरावत ने ग्राउंड पर साथ खेलना शुरू किया और पसीना बहाकर 64 किलो तक वजन लेकर आए। अब उसकी चार माह की गुड़िया है। जल्द ही वह मैट पर वापसी करेगी।


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