जींद संग्रहालय की छत बारिश में कभी भी गिर सकती है
जिले के प्रमुख तीर्थ स्थलों के फोटो और उनकी जानकारी। प्रमुख पुरातात्विक स्थल। जींद राज्य की मोहर लगी डाक टिकट। हजारों साल पुराने मिट्टी के मटके। मुगल कालीन तांबे की धातु के बड़े बर्तन। हजारों साल पुरानी हाथ से लिखी गीता व महाभारत सहित कई ऐतिहासिक किताबें।
कर्मपाल गिल, जींद : जिले के प्रमुख तीर्थ स्थलों के फोटो और उनकी जानकारी। प्रमुख पुरातात्विक स्थल। जींद राज्य की मोहर लगी डाक टिकट। हजारों साल पुराने मिट्टी के मटके। मुगल कालीन तांबे की धातु के बड़े बर्तन। हजारों साल पुरानी हाथ से लिखी गीता व महाभारत सहित कई ऐतिहासिक किताबें। जींद स्टेट के महाराजाओं के फोटो। इतिहास की यह सब महत्वपूर्ण धरोहर संग्रहालय में जर्जर हो रही हैं। लेकिन सरकार इसकी सुध नहीं ले रही है।
श्रीजयंती देवी मंदिर के प्रांगण में बना जयंती पुरातात्विक संग्रहालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। बारह साल पहले 28 जुलाई 2007 को तत्कालीन राज्यपाल डॉ. एआर किदवई ने इसका उदघाटन किया था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने रखरखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। बारिश होने पर संग्रहालय की दीवार टपकने लग जाती हैं, जिससे यहां रखा सामान भी खराब हो रहा है। अंदर दीवारों पर लगी प्लाई भी कई जगहों से गल चुकी है। अब तो हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि बारिश में कभी भी संग्रहालय की छत गिर सकती है। संग्रहालय में इंट्री करते ही गहरा अंधेरा होता है। यहां की लाइटें लंबे समय से खराब हैं, जिससे लोग यहां लिखे जींद के इतिहास, तीर्थों के फोटो व उनके बारे में लिखी जानकारी नहीं पढ़ पाते। सरकार की तरफ से इन लाइटों को ठीक कराने के लिए भी बजट नहीं दिया जा रहा है। सरकार की इस अनदेखी से इतिहास के प्रति जिज्ञासा रखने वालों में गहरी निराशा है। खराब हालत के चलते एक तो लोग यहां आ ही नहीं रहे हैं। यदि कोई आ भी जाता है तो जर्जर हालत देखकर कर्मचारियों से यही सवाल करता है कि इसका इतना बुरा हाल क्यों कर दिया? लेकिन किसी के कोई जवाब नहीं है। संग्रहालय के केयरटेकर राजेंद्र कहते हैं कि यहां रखे सामान की पूरी हिफाजत की जा रही है। इसकी छत बदलने और मरम्मत का प्रोजेक्ट सरकार के पास भेजा हुआ है। हजारों साल पुराने इतिहास से होते हैं रूबरू
श्रीजयंती देवी मंदिर के प्रांगण में स्थित इस संग्रहालय में प्रवेश करते ही दीवारों पर जींद जिले का पूरा इतिहास लिखा हुआ है। जींद जिले का गठन कब हुआ। जिले में कितने पुरातात्विक स्थल हैं और कितने तीर्थ हैं। इनके नक्शे और फोटो सहित विस्तृत जानकारी लिखी हुई है। 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि में आने में तीर्थ स्थलों के बारे में बताया गया है। जींद राज्य की पोस्ट कार्ड व स्टाम्प पेपर, जींद स्टेट के महाराजा रणबीर सिंह और मुख्यमंत्री बहादुर सरदार शमशेर सिंह के फोटो, भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों के आधार पर रखे गए जिले के 41 गांवों के नामों की सूची सहित जींद जिले और आसपास की अनगिनत धरोहरें संजो कर रखी हुई हैं। जींद स्टेट के खजांजी लाला मदन गोपाल और महारानी के फोटो सहित कई दुर्लभ तस्वीरें भी यहां लगी हुई हैं। जींद रियायत के राजा-महाराजाओं द्वारा लड़ाई में प्रयोग किए जाने वाले हथियार तलवार, भाले, सुरक्षा के लिए सिर पर पहनने वाली लोहे की टोपी भी यहां रखी हुई है। हजारों साल पुराने करीब तीन फुट ऊंचे बड़े मटके हरेक को यह सोचने पर विवश करते हैं कि पहले के लोगों की कद-काठी कैसी रही होगी। यहां रखी हजारों बरस पुरानी मंझोली सबको अपनी तरफ आकर्षित करती है, जिसमें दुल्हनें बैठकर आती थी। हजारों साल पुरानी हाथ से लिखी गीता, महाभारत और अन्य किताबों की सुंदर लिखाई देखकर लोग अचंभित रह जाते हैं। ठंडे बस्ते में गया नए भवन में शिफ्ट करने का प्लान
करीब सालभर पहले तत्कालीन उपायुक्त अमित खत्री ने जयंती देवी संग्रहालय को मंदिर परिसर में बने नए भवन में शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया था। इस पर करीब 30 लाख रुपये खर्च आना था। लेकिन इसमें कुछ लोगों ने अड़ंगा लगा दिया, जिससे यह अधर में लटक गया। विद्यार्थियों को इतिहास से जुड़ी चीजों को दिखाने के लिए तत्कालीन डीसी ने जिला शिक्षा अधिकारी को रोस्टर तैयार करने का आदेश दिया था, जिसके तहत विद्यार्थियों को संग्रहालय का दौरा करवाना था। यह प्लान भी ठप हो चुका है।
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