जींद ने बनाया रिकॉर्ड, घरों के अंदर रहे लोग, सड़कों पर सन्नाटा
और एक रिकॉर्ड गढ़ दिया जींद जिले की जनता ने। पहली बार शहर से लेकर गांवों की गलियों में सन्नाटा पसरा रहा। जिलेभर में जनता कर्फ्यू पूरी तरह से सफल रहा। बड़े से बड़े आंदोलनों हड़ताल और भारत-पाक व भारत-चीन युद्ध की लड़ाइयों के दौरान भी कभी सड़कों पर ऐसा कर्फ्यू नहीं देखा गया।
जागरण संवाददाता, जींद : और एक रिकॉर्ड गढ़ दिया जींद जिले की जनता ने। पहली बार शहर से लेकर गांवों की गलियों में सन्नाटा पसरा रहा। जिलेभर में जनता कर्फ्यू पूरी तरह से सफल रहा। बड़े से बड़े आंदोलनों, हड़ताल और भारत-पाक व भारत-चीन युद्ध की लड़ाइयों के दौरान भी कभी सड़कों पर ऐसा कर्फ्यू नहीं देखा गया। दुकानदार, किसान, मजदूर सबका एक ही मकसद था, कोरोना को हराना है। 80 से 90 साल के बुजुर्ग भी यही बोले कि यह पहली बार देखा कि एक राजनेता की अपील को इतना बड़ा जनसमर्थन मिला हो।
जनता कर्फ्यू के प्रति हर वर्ग इतना समर्पित दिखा, जिससे प्रशासन को भी कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करने पड़े। शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली पटियाला चौक से गोहाना रोड तक सड़क खाली रही। दिनभर में उंगलियों पर गिनने लायक एकाध बाइक या कार ही गुजरीं। जिन बाजारों में पैदल चलने को जगह नहीं होती थी, वहां भी सन्नाटा छाया रहा। बाजार में एक भी दुकान खुली नजर नहीं आई। शहर का सबसे भीड़ वाला एरिया तांगा चौक जहां पैर रखने की भी जगह नहीं रहती है। रविवार को वीरान पड़े इस चौक पर छोटे बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। यही स्थिति पालिका बाजार व मेन बाजा की रही। व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों को बंद करके दुकान के ऊपर बनाए अपने मकानों से कभी बाजार की सुनसान गली को देख रहे थे, तो कोई घर में बैठकर टीवी देख रहा था। कॉलोनियों में भी घरों के दरवाजे बंद थे और अंदर लोग परिवार के साथ समय व्यतीत करते रहे। इस दौरान कोई अपने बच्चों के साथ खेल रहा था। कोई रसोई में खाना बनाने में बीवी की मदद कर रहा था, तो कोई घर की साफ-सफाई करने में व्यस्त रहा।
शराब ठेकों के शटर आधे गेट खुले थे
पूरे शहर में जहां सभी दुकानें बंद थी। वहीं शराब ठेकों के आधे शटर खुले थे। दोपहर को प्रशासन ने शराब ठेकों को भी बंद करा दिया। पुरानी कचहरी के पास खुले शराब ठेके के कारिदे ने बताया कि बाकी दिनों की तुलना में शराब की बिक्री कम है। लेकिन शनिवार शाम को बहुत से ऐसे युवक जो शराब का सेवन नहीं करते। वे शराब लेकर गए हैं। जिसे सैनिटाइजर के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।
रानी तालाब में नहीं चली किश्ती
रानी तालाब में लोग दिनभर किश्ती का आनंद लेते थे। लेकिन रविवार को रानी में कोई किश्ती नहीं चली। रानी तालाब व उसके आसपास का पूरा एरिया पूरा शांत रहा। रानी तालाब पर बनी कैंटीन भी बंद थी। रानी तालाब शहर के बीचों-बीच है। जहां वाहनों का आवागमन भी काफी ज्यादा रहता है। लेकिन जनता कर्फ्यू के चलते ये एरिया पूरा खाली रहा।
गोहाना रोड, पटियाला चौक सड़क भी सुनसान
शहर के मुख्य मार्ग गोहाना रोड पर भी दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। इसी तरह पटियाला चौक, सफीदों रोड, देवीलाल चौक रोड की स्थिति भी यही रही। एकाध बाइक सवार ही सड़क पर नजर आया। जिसे जरूरी काम के लिए बाहर निकलना था। पीसीआर और बाइक राइडर पूरे शहर में राउंड करते रहे। जहां-जहां मुख्य मार्केट हैं, वहां सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों की ड्यूटी रही।
पांच बजते ही बजी थालियां व तालियां
शाम बजते ही नजारा भी देखने वाला था। लोग थालियां लेकर घरों के गेट पर खड़े हो गए थे और चम्मचों से खूब थालियां बजाई। कुछ लोगों ने दोनों हाथों से तालियां भी बजाई। हाउसिग बोर्ड, अर्बन एस्टेट के घरों के सामने थालियां बजाते लोगों का ²श्य बड़ा मनोरम था। सबके चेहरे पर खुशी थी कि कोरोना को हराने के लिए उन्होंने दिनभर खुद को घर में रखा। स्कीम नंबर पांच व छह में भी लोगों ने तालियां व थालियां बजाई।