संवाद सूत्र, नरवाना : श्रीराम भारतीय कला केंद्र के तत्वावधान में चल रही रामलीला में बृहस्पतिवार ताड़का वध का मंचन किया गया। ताड़का के वध से पहले मंचन में महाराजा दशरथ और विश्वामित्र का संवाद हुआ। दशरथ जब विश्वामित्र से राम और लक्ष्मण को साथ ले जाने का करण पूछते हैं, तो विश्वामित्र व्यथा सुनाते हुए कहते हैं कि जंगल में राक्षस उन्हें यज्ञ और तपस्या नहीं करने दे रहे हैं और राम और लक्ष्मण का जन्म ही इसी लिए हुआ है कि वे धरती से राक्षसों का नाश करें। इसके बाद सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। शिव धनुष तोड़ते ही परशुराम को क्रोध जाता है। उसके बाद परशुराम और लक्ष्मण संवाद होता है। दोनों के संवाद सुनकर दर्शकों को बहुत आनंद आता है। परशुराम जब क्रोधित होते हैं, तो श्रीराम अपने कोमल वचन से उन्हें शांत करते हैं और जब वे शांत हो जाते हैं, तो लक्ष्मण उन्हें फिर अपने तीखे बचन से क्रोधित कर देते हैं। परशुराम के संदेह दूर होने के पश्चात आकाश से पुष्प वर्षा हुई और दर्शकों ने करतल ध्वनि करते हुए जय श्रीराम का उद्घोष किया। इस मौके पर भारत भूषण गर्ग, अचल मित्तल, विनोद गर्ग, लक्ष्मण देव आर्य, अनिल आर्य, सुशील गर्ग, डॉ. सुदर्शन ¨सगला, धर्मपाल गर्ग, जयदेव बंसल आदि मौजूद रहे।
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