जींद में किसानों को दिया दिल्ली की ट्रैक्टर परेड का निमंत्रण
तीनों कृषि बिलों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया है लेकिन किसानों के आंदोलन की रणनीति में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा है।
संवाद सूत्र, सफीदों: तीनों कृषि बिलों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया है, लेकिन किसानों के आंदोलन की रणनीति में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा है। मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता स्वामी इंद्र ने गांव हाट में ग्रामीणों को किसान ट्रैक्टर परेड का निमंत्रण दिया। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने ग्रामीणों से आह्वान किया कि वे ज्यादा से ज्यादा तादाद में ट्रैक्टर लेकर दिल्ली पहुंचे। मकर संक्रांति के दिन किसान संकल्प दिवस के तहत तीनों कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी। 18 जनवरी को किसान महिला दिवस मनाया जाएगा। 23 जनवरी को किसान आजाद दिवस मनाया जाएगा जिसके तहत किसान पूरे भारत में उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर धरना प्रदर्शन करेंगे। 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी। इस परेड के लिए हर गांव से 5 ट्रैक्टर निकलेंगे, इनमें एक ट्रैक्टर महिलाओं का होगा। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि हर गांव से 11-11 लोगों के दल बनाकर ट्रैक्टर-ट्राली पर दिल्ली पहुंचे। ट्रैक्टर-ट्राली पर तिरंगा लगाकर दिल्ली की ओर कूच करें। रास्ते में पुलिस जहां भी रोके या टोके वहीं पर खड़े होकर राष्ट्रगान गाना शुरू कर दें। कोई भी किसान किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा ना करें। पूरे गांधीवादी व संवैधानिक तरीके से अपने आंदोलन को चलाए। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार तीनों काले कानूनों को वापिस नहीं ले लेती तब तक किसान बार्डर से हिलने वाले नहीं है।
कृषि कानून रद नहीं हुए तो अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे विरेंद्र घोघड़ियां
संवाद सूत्र, उचाना : केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को रद नहीं किया तो मार्केट कमेटी उचाना के पूर्व चेयरमैन विरेंद्र घोघड़ियां ने अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे। विरेंद्र घोघड़ियां ने कहा कि वह 15 जनवरी के बाद अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ जाएंगे। इस अनशन में उनके साथ हलके के हर गांव से एक युवा अनशन पर बैठेगा। विरेंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से बातचीत कर तारीख पर तारीख देकर घूमा रही है। किसान जब साफ कर चुके हैं कि जब तक कृषि कानून रद नहीं होते, एमएसपी पर कानून नहीं बनता, उनका धरना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि डेढ़ महीने से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन किसान शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं।