कागजात गुम होने के मामले में पूर्व रजिस्ट्रार डा. मोर पर कराएगी जाएगी एफआइआर दर्ज
चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में साइकोलॉजी के असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती से संबंधित कागजात गायब होने के मामले में पूर्व रजिस्ट्रार डा. राजबीर सिंह मोर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
जागरण संवाददाता, जींद : चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में साइकोलॉजी के असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती से संबंधित कागजात गायब होने के मामले में पूर्व रजिस्ट्रार डा. राजबीर सिंह मोर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। वीरवार को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) की मीटिग में जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ये फैसला लिया गया। गौरतलब है कि फरवरी 2019 में विश्वविद्यालय में असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती के लिए साक्षात्कार हुए थे। जिनके सील बंद लिफाफे में रखे कागजात गायब हो गए। उस समय डा. राजबीर मोर रजिस्ट्रार थे। उनका दिसंबर 2019 में कार्यकाल पूरा हुआ। विश्वविद्यालय ने कागजातों के बारे में डा. मोर से चिट्ठी लिख कर पूछा था। डा. मोर ने उनके पास भर्ती के कागजात होने से इंकार कर दिया। जिसके बाद विश्वविद्यालय ने इस मामले में जांच के लिए कमेटी गठित की थी। कमेटी ने जांच कर रिपोर्ट वीसी को सौंप दी थी। जिसमें पूर्व रजिस्ट्रार को कागजात गायब होने के मामले में दोषी माना। वीरवार को ईसी की मीटिग में जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पूर्व रजिस्ट्रार के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का फैसला लिया गया।
विश्वविद्यालय से एनओसी लिए बगैर की ज्वाइनिग
ईसी की मीटिग में ये फैसला भी हुआ कि पूर्व रजिस्ट्रार डा. मोर ने विश्वविद्यालय में कार्यकाल पूरा होने के बाद बगैर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) और रिलीविग लिए दूसरी जगह ज्वाइन कर लिया। बगैर रिलीविग लिए दूसरी जगह ज्वाइन ही नहीं कर सकते। इसलिए जहां उन्होंने ज्वाइन किया था, संबंधित अथॉरिटी और उच्चतर शिक्षा विभाग को कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। रजिस्ट्रार प्रो. राजेश पूनिया ने कहा कि पूर्व रजिस्ट्रार ने एनओसी खुद ही तैयार कर ली। खुद ही ऐसे कागज लगा रखे थे, जो वे नहीं लगा सकते थे। कागजात गुम होने के मामले में एफआइआर दर्ज कराने के लिए जल्द ही पुलिस को लिखा जाएगा।
कागजात गायब होने पर पूर्व रजिस्ट्रार डा. राजबीर मोर का जवाब
वीसी और रजिस्ट्रार खुद ही भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इस बात को सरकार ने भी माना। इसलिए विश्वविद्यालय में चल रही भर्तियों पर रोक लगाई गई है। उन्होंने विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के मामले को उठाया। इसलिए उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जा रही है। भर्तियों से संबंधित कोई कागजात उनके पास नहीं है। इस मामले में वे भी समय आने पर कार्रवाई करेंगे।
एनओसी और रिलीविग बगैर ज्वाइनिग पर डा. मोर का जवाब
रजिस्ट्रार की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं। कार्यकाल पूरा होने पर उन्होंने थैंक्स लेटर राज्यपाल को भेज दिया था। जिसकी कॉपी मेल से वीसी को भी भेजी गई थी। अगर वे नियमानुसार विश्वविद्यालय से रिलीव नहीं हुए थे, तो वीसी ने उनकी फेयरवेल क्यों की। उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। इसलिए किसी भी तरह की कार्रवाई से डरने वाले नहीं है। डटकर सामना करेंगे।