सूरत कोचिग हादसे के बाद जागे थे अफसर, फिर सो गए
जींद शहर में जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी के चलते हजारों विद्यार्थियों की जिदगी से खिलवाड़ हो रहा है। शहर में चल रहे कोचिग सेंटर सरेआम सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : जींद शहर में जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी के चलते हजारों विद्यार्थियों की जिदगी से खिलवाड़ हो रहा है। शहर में चल रहे कोचिग सेंटर सरेआम सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। 98 प्रतिशत कोचिग सेंटरों में न तो फायर सेफ्टी उपकरण हैं और न ही इन कोचिग सेंटर संचालकों के पास एनओसी है। इन हालात में दुर्भाग्य से कहीं पर आगजनी की घटना हो गई तो फिर सब कुछ भगवान भरोसे ही है।
इसी साल 24 मई को गुजरात के सूरत शहर में एक कोचिग सेंटर में दर्दनाक हादसा हुआ था, जिसमें आग लगने से कई विद्यार्थी जिदा जल गए थे। उसके बाद हरियाणा सरकार ने भी सभी कोचिग सेंटरों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे। तब पाया गया था कि जींद शहर में किसी भी कोचिग सेंटर संचालक के पास न तो एनओसी है और न ही फायर सेफ्टी पॉलिसी का पालन किया जा रहा है। तब प्रशासन द्वारा सभी कोचिग सेंटर संचालकों को फायर सेफ्टी विभाग से एनओसी लेने और फायर सेफ्टी उपकरण लगवाने का समय दिया था। कुछ दिन मामला काफी गर्माया लेकिन उसके बाद सिस्टम ठंडा पड़ गया। न प्रशासन ने दोबारा से जांच करने की जहमत उठाई और न ही कोचिग सेंटर संचालकों ने आवेदन करने से आगे कुछ बात बढ़ाई। लोग भी गुजरात हादसे को भूल गए और प्रशासन ने भी जांच के नाम खानापूर्ति कर इसे रफा-दफा कर दिया।
शहर में 400 से ज्यादा कोचिग सेंटर, महज कुछ के पास ही एनओसी
शहर में गोहाना रोड पर डीआरडीए के सामने की हुडा मार्केट कोचिग संस्थान का हब है। इस मार्केट में 50 से ज्यादा दो मंजिला और तिमंजिला भवनों में कोचिग संस्थान चल रहे हैं। इनमें से एकाध को छोड़ दिया जाए तो किसी के पास भी न तो फायर सेफ्टी विभाग द्वारा जारी एनओसी है और न ही यहां फायर सेफ्टी उपकरण लगे हैं। इसके अलावा पटियाला चौक, स्कीम नंबर 5, हुडा शॉपिग काम्पलेक्स, जाट धर्मशाला के सामने की मार्केट में भी काफी कोचिग सेंटर और कम्प्यूटर सेंटर चल रहे हैं। मार्केट में बने भवनों की बेसमेंट में लाइब्रेरी चल रही हैं।
अकेले एकेडमी संचालक ही कसूरवार नहीं, जिम्मेदार भी बेपरवाह
सरकार ने तो आदेश जारी कर दिए कि सभी शिक्षण संस्थाओं में फायर सेफ्टी उपकरण हों लेकिन इसे लागू करवाने का काम जिन अधिकारियों के जिम्मे है, उन्हें ही इस बात की परवाह नहीं है कि यह विद्यार्थियों की जिदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है, तो अकेले एकेडमी संचालकों को तो कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता। जैसे ही कोई हादसा होता है, तो अधिकारी जांच करने की खाना-पूर्ति करते हैं और थोड़े दिनों बाद फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है और लोग ऐसे दर्दनाक हादसे को भूल जाते हैं तथा फिर से ऐसे हादसे होने का इंतजार करते हैं।
वर्जन
सरकार के आदेशों के बाद जांच प्रकिया चली थी और एकेडमी संचालकों को नोटिस भी जारी किए गए थे तथा उन्हें समय दिया गया था कि जल्द से जल्द एनओसी ले लें लेकिन उसके बाद चुनावों में व्यवस्तता के चलते कार्रवाई थोड़ी ढीली पड़ गई। विधानसभा चुनावों के बाद मंत्रिमंडल ही बदल गया, अब नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाएगी
--आत्मा राम, फायर सेफ्टी ऑफिसर, जींद।