शाम 6 बजे सड़कों पर निकलेंगे तो धुएं से लाल हो जाएंगी आंखें
जींद जिले की बेशक बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में गिनती नहीं होती और यहां बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां भी नहीं हैं लेकिन जिले की आबोहवा दिल्ली की हवा से भी ज्यादा जहरीली हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, जींद : जींद जिले की बेशक बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में गिनती नहीं होती और यहां बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां भी नहीं हैं लेकिन जिले की आबोहवा दिल्ली की हवा से भी ज्यादा जहरीली हो चुकी है। शाम 6 बजे के बाद अगर आप बाइक पर किसी भी सड़क पर निकलते हैं तो धुएं से आपकी आंखों लाल हो जाएंगी। आंखों में जलन होने लगेगी। शनिवार को एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 440 पर पहुंच गया, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है और आंखों में जलन हो रही है। पीएम 2.5 का स्तर 440 है लेकिन इससे भी खतरनाक पीएम-10 होता है, जो 400 के करीब पहुंच गया है।
शहर में मिनी बाईपास, सफीदों रोड, रोहतक रोड, पुराना हांसी रोड, पिडारा के पास ओवर ब्रिज, रोहतक रोड बाईपास पर ओवरब्रिज पर निर्माण कार्य चल रहा है तो नरवाना रोड पर अमरुत के तहत पाइप लाइन दबाने की खातिर खोदाई का काम चला हुआ है। इसके अलावा खेतों में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हरसेक द्वारा खेतों में पराली में आग लगाने की 546 लोकेशन भेजी गई हैं। जिनमें से 393 लोकेशन सही पाई गई हैं और उनमें से 384 को नोटिस देकर 4.85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जो शिकायतें सही पाई गई हैं, उनमें 531 एकड़ में पराली जली पाई गई है। किसान दोपहर बाद पराली में आग लगा रहे हैं। जिसके चलते शाम को चारों तरफ धुआं छा जाता है।
पीएम-2.5 से ज्यादा जानलेवा होता पीएम-10, इसका स्तर 400 पर पहुंचा
जींद शहर में शनिवार को पीएम 10 का स्तर 400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को भी पार कर गया। शनिवार दोपहर साढ़े 12 बजे यह आंकड़ा 370 था। दोपहर ढाई बजे 390 हो गया। शाम साढ़े पांच बजे के बाद यह 400 क्रास कर गया। एचएयू हिसार के मौसम वैज्ञानिक डॉ. मदनलाल खीचड़ ने बताया कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पार्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रो मीटर होता है। इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है। पीएम एक तरह से पार्टिकल पोल्यूशन है। यह पीएम-2.5 से ज्यादा जानलेवा है। यह कण ठोस या तरल रूप में वातावरण में होते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण होते हैं। इसके कण हवा में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देते हैं। इनकी जद में आने वाले लोगों को घुटन का अहसास होता है और शरीर को गहरा नुकसान होता है।
फसल अवशेष न जलाएं किसान : नरेंद्रपाल
कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर नरेंद्रपाल ने बताया कि किसानों को फसल अवशेष को काट कर खेत में मिला सीधे गेहूं की बिजाई करने के लिए हैप्पी सीडर, सुपर सीडर जैसे कृषि यंत्र सरकार ने किसानों को अनुदान पर दिए हैं। इसलिए किसान फसल अवशेष नहीं जलाएं। सरकार के आदेशानुसार अगर किसान पराली जलाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। शुक्रवार तक फसल अवशेष में आग लगाने के 393 मामलों की पहचान कर संबंधित किसानों को जुर्माना लगाया जा चुका है।