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लक्ष्य कितना ही बड़ा हो, मेहनत से पाया जा सकता : अनिल मलिक

इंडस पब्लिक स्कूल में दैनिक जागरण संस्कारशाला हुई, जिसमें जिला बाल कल्याण अधिकारी अनिल मलिक ने बच्चों को सफलता पाने के लिए मेहनत का पाठ पढ़ाया। इस मौके पर स्कूल की प्राचार्या अरूणा शर्मा, उप प्राचार्य प्रवीन कुमार भी मौजूद रहे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 01:08 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 01:08 AM (IST)
लक्ष्य कितना ही बड़ा हो, मेहनत से पाया जा सकता : अनिल मलिक
लक्ष्य कितना ही बड़ा हो, मेहनत से पाया जा सकता : अनिल मलिक

जागरण संवाददाता, जींद : इंडस पब्लिक स्कूल में दैनिक जागरण संस्कारशाला हुई, जिसमें जिला बाल कल्याण अधिकारी अनिल मलिक ने बच्चों को सफलता पाने के लिए मेहनत का पाठ पढ़ाया। इस मौके पर स्कूल की प्राचार्या अरुणा शर्मा, उप प्राचार्य प्रवीन कुमार भी मौजूद रहे।

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जिला बाल कल्याण अधिकारी ने विद्यार्थियों को स्टार जिम्नास्ट खिलाड़ी दीपा करमाकर की सफलता की कहानी सुनाते हुए बताया कि पांच साल की उम्र में दीपा करमाकर ने पांच साल की उम्र में सपना देखा कि उसे कुछ करना है। उनके पिता स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी आफ इंडिया में वेटलि¨फ्टग के कोच थे। इसलिए उनका बचपन से ही खेल व खिलाड़ियों से नाता रहा। वह हर वक्त उछल-कूद करती रहती थी। उनकी रुचि को देखते हुए पिताजी ने उन्हें जिम्नास्ट बनाने की ठानी और प्रशिक्षण शुरू किया। तब तक दीपा ने स्कूल जाना भी शुरू नहीं किया था। 8-9 साल की उम्र में उनका सपने को धक्का तब लगा, जब पता चला कि उनके तलवे सपाट हैं, जिससे कूदने के बाद वापस आते समय ग्रिप नहीं बनती और चोट लगने का खतरा रहता है। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़े अभ्यास से इस कमी को बाधा नहीं बनने दिया। जब उन्होंने पहली बार जिम्नास्ट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, तो उनके पास जूते नहीं थे। कॉस्ट्यूम भी किसी से उधार लिया था। 2014 में दीपा ने कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता। जिसके लिए उन्हें साल 2015 में अर्जुन अवार्ड मिला। 2016 के रियो ओ¨लपिक में चौथे स्थान पर रही। अनिल मलिक ने विद्यार्थियों को बताया कि लक्ष्य चाहे कितना ही बड़ा हो, उसे मेहनत से हासिल किया जा सकता है। इस मौके पर उनके साथ काउंसलर सोहनलाल व अंकित देशवाल भी मौजूद रहे।

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दैनिक जागरण संस्कारशाला में बहुत ही प्रेरक कहानियां होती हैं। इससे विद्यार्थी काफी कुछ सीख सकते हैं। सफलता पाने के लिए मेहनत ही एकमात्र विकल्प है। चाहे वह पढ़ाई हो या खेल का क्षेत्र।

अरूणा शर्मा, प्राचार्या, इंडस पब्लिक स्कूल

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इस तरह के प्रेरणादायक कार्यक्रम समय-समय पर होने चाहिएं। दैनिक जागरण संस्कारशाला से बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलता है। इस कहानी से हमें मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है।

प्रवीन कुमार, उप प्राचार्य

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इस कहानी से हमें सीख मिली कि सफलता पाने के लिए मेहनत जरूरी है। लक्ष्य चाहे कितना ही बड़ा हो, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। जिससे हमें सफलता मिलना निश्चित है।

वैभव, छात्र

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दैनिक जागरण संस्कारशाला की कहानी काफी प्रेरणादायक थी। इसमें दीपा करमाकर की सफलता की कहानी के बारे में बताया गया है। जिसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की।

कशिश, छात्रा

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दैनिक जागरण में समय-समय पर इस तरह के प्रेरणादायक आर्टिकल होते हैं। जो विद्यार्थियों को काफी मदद करते हैं। संस्कारशाला में जो कहानी सुनी, वो काफी अच्छी लगी।

अलेना पवार, छात्रा

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जिला बाल कल्याण अधिकारी ने मेहनत के महत्व के बारे में समझाया। जिम्नास्ट दीपा के जीवन से काफी कुछ सीखने को मिला। उन्होंने साबित किया कि मेहनत से कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है।

मेहर ¨सह, छात्र


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