इसी दुनिया में है स्वर्ग और नरक : स्वामी रामवेश
अर्बन एस्टेट स्थित महर्षि दयानंद योग चिकित्सा आश्रम में मासिक वैदिक सत्संग स्वामी रामवेश की अध्यक्षता में हुआ।
जागरण संवाददाता, जींद : अर्बन एस्टेट स्थित महर्षि दयानंद योग चिकित्सा आश्रम में मासिक वैदिक सत्संग स्वामी रामवेश की अध्यक्षता में हुआ। स्वामी रामवेश ने बोलते हुए सुख और दुख की विशेष रूप से व्याख्या की। सुख विशेष का नाम स्वर्ग है और दुख विशेष का नाम नरक है। नरक और स्वर्ग दोनों ही इस जगत में विद्यमान है। उनका भोग अपने कर्मों के मुताबिक मनुष्य को भोगना पड़ता है। दुखों की संख्या पांच है। अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश। स्वामी रामवेश ने बताया कि जो चीज जैसी है उसको उसके विपरीत माना अविद्या है और जो चीज जैसी है उसको वैसा ही मानना विद्या है। देवराज शास्त्री ने मकर सक्रांति के बारे में अपने विचार रखे और बताया कि ये हमारा सरदकालीन त्योहार है। लोग मकर सक्रांति को गरीबों और वृद्धों को वस्त्र व भोजन देकर उनका सम्मान करते हैं और सूर्य उत्तरायण की तरफ बढ़ता जाता है। इस मौसम में लोग गर्म चीजों और खानपान का सेवन करते हैं। सुनील शास्त्री, जोरा सिंह आर्य व मास्टर जगदीश चंद्र आर्य ने भजनों के माध्यम से लोगों को अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्राचार्य जगफूल सिंह ढिल्लों, सूरजमल आर्य खटकड़, रघबीर सिंह मलिक, मा. सतबीर सिंह आर्य, अश्वनी आर्य व कैप्टन रामदत आर्य उपस्थित रहे।