हेरिटेज प्लांट अडॉप्ट करे सरकार, सब्सिडाइज रेट पर मिलें पौधे
प्रदेश में वानिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार को अपनी नीतियां बदलनी होंगी। आम आदमी को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सीडाइज रेट पर पौधे देने होंगे और हेरिटेज पेड़ों का संरक्षण करना चाहे। इसके लिए सरकार को इन्सेंटिव ही क्यों न देना पड़े।
जागरण संवाददाता, जींद:
प्रदेश में वानिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार को अपनी नीतियां बदलनी होंगी। आम आदमी को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सीडाइज रेट पर पौधे देने होंगे और हेरिटेज पेड़ों का संरक्षण करना चाहे। इसके लिए सरकार को इन्सेंटिव ही क्यों न देना पड़े। साथ ही, लकड़ी मार्केट पर कंट्रोल करने के लिए मैकेनिज्म डेलवल करना होगा। इसके बाद ही लोगों को प्राइवेट फोरेस्ट या खेतों में पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
पर्यावरण प्रेमी जगदीप सिंह कहते हैं कि लोगों को खेतों में पौधे लगाने के लिए सरकार को इन्सेंटिव देने की व्यवस्था करनी चाहिए। पेड़ों का एमएसपी सिस्टम भी बनाया जाना चाहिए ताकि अच्छी रिटर्न आए तो लोग पेड़ लगाने के लिए आगे आएं। मेडिसिन प्लांट हों या फ्रूट प्लांट, इनकी मार्केटिग की व्यवस्था भी सरकार को करनी चाहिए। अभी जिन लोगों ने मेडिसिन के प्लांट लगा रखे हैं, उसकी मार्केट ओपन है और उद्योगपतियों के हाथों में है। मार्केट में थोड़ी सी सप्लाई ज्यादा होते ही उद्योगपति किसानों का शोषण करने लगते हैं। ऐसे में मुनाफे के बजाय नुकसान होने पर किसान पौधे लगाने से पीछे हट जाते हैं। अभी यह ऑर्गेनाइज सेक्टर नहीं है। यमुनानगर की बात ही लें। वहां लोग पापुलर व सफेदे की खेती करते हैं। जब माल ज्यादा हो जाता है तो भाव एकदम गिर जाता है। इस कारण किसान आगे पौधे नहीं लगाते। इसीलिए सरकार को प्लानिग करनी चाहिए कब कितने सफेदे की जरूरत है। उसी रोटेशन पर पौधरोपण करवाना चाहिए। जब भी पॉपुलर व सफेदा मैच्योर होता है, तभी रेट डाउन हो जाता है। ऐसी योजना बने कि रेट स्थिर रहे। पुराने पेड़ों किया जाए संरक्षित
पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र नाडा कहते हैं कि सरकार को हिस्टोरिक यानि हेरिटेज प्लांट को संरक्षित रखने की योजना बनानी चाहिए। इसके लिए सरकार इन्सेंटिव देने की व्यवस्था करे। इससे आनी वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। जहां भी पुराने बड़ के बड़े पेड़ हैं, वहां ठंडक का अलग ही अहसास होता है। इन पेड़ों के नीचे तीन से चार डिग्री तापमान भी कम रहता है। कोलकाता के इंडियन बॉटनिकल गार्डन में चार एकड़ में एक बड़ फैला हुआ है। यह विश्व का सबसे बड़ा वट वृक्ष है। इसी तरह जहां भी 100 से 200 साल पुराने पेड़ हैं, उनको संरक्षित किया जाना चाहिए। शहर में यह नियम होना चाहिए कि हर घर के आगे छायादार या फलदार एक पेड़ जरूर हो।