राज्य स्तरीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में दिखी ग्रामीण संस्कृति की झलक
महिला काव्य मंच की राज्य स्तरीय काव्य गोष्ठी का आयोजन इकाई अध्यक्ष डा. सरोज कौशिक द्वारा ऑनलाइन करवाया गया।
जागरण संवाददाता, जींद : महिला काव्य मंच की राज्य स्तरीय काव्य गोष्ठी का आयोजन इकाई अध्यक्ष डा. सरोज कौशिक द्वारा ऑनलाइन करवाया गया। इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय संरक्षक गुरमीत साहनी नीरू, संस्थापक नरेश नाज और नियति गुप्ता ने की। ऑनलाइन संगोष्ठी का विषय हरियाणा के लोकगीत और ग्रामीण संस्कृति रहा। मंच संचालन रोहतक इकाई की अध्यक्ष सोनिका पंवार सवेरा ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत पूनम जोशी द्वारा की गई। इस काव्य गोष्ठी में सभी कवयित्रियों ने हरियाणवी लोकगीत व हरियाणवी कविताओं से समा बांधा। सरोज कौशिक ने झूठ कती ना बोल्यूंगी महारे झूठ की स आण। नमिता ने कितने स्याणे लोग अड़े के कितना सुथरा बाणा सोंधी-सोंधी माटी अड़े की दूध दही का खाणा। अनीता शर्मा ने नया जमाना लिए कटारी आ बैठा अन्यायी। डॉ. भामा अग्रवाल ने बेटी सबकी लाडली है आंगन की शान। ममता शर्मा ने आग थे हम, मोम की मानिद पिघलना आ गया। संचिता ने आ जाए बेबे बात बताऊं, गा बोल क हाल सुनाऊं। सुमन सांगवान ने क्या कहूं, कैसा है मेरा हरियाणा, जो बात थी वो रही नहीं । इंदु ने देश के कोने-कोने से आवाज ये आई है। कमला राठी ने हे री ननदिया तेरे बीरा गए प्रदेश। शोभा जाखड़ मेरा मन भर ज्यागा मान। अंजलि ने बुढि़या गूगल सी सयानी है, अभी तक गांव में। वंदना हिना मलिक ने आजाद देश की हवा में इबे कमी सै बहोत। सोनिका पंवार सवेरा ने कितने भूखे मरगे अर कितने झूलगे फांसी। बीना कौशिक ने सास मन्ने राजी बोलिए राजी बोलिए। डा. ज्योति राज ने दादी ल्याओ नै किताब पढ़ेगा ललणा। नियति गुप्ता ने अपनी मधुर आवाज और पंजाबी लोकगीत से सब को भाव-विभोर किया। महिला काव्य मंच के संस्थापक नरेश नाज ने काव्य गोष्ठी में शिरकत की। राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनीर साहनी ने भी कविता की प्रस्तुति दी।