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चार साल पहले खरल में हुड्डा सरकार ने रखी रीजनल सेंटर की नींव, उसके बाद नहीं लगी एक भी ईंट

बिजेंद्र मलिक, जींद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने साल 2014 में कन्या संस्कृत महाविद्यालय गुरुकुल ख

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 01:13 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 01:13 AM (IST)
चार साल पहले खरल में हुड्डा सरकार ने रखी रीजनल सेंटर की नींव, उसके बाद नहीं लगी एक भी ईंट
चार साल पहले खरल में हुड्डा सरकार ने रखी रीजनल सेंटर की नींव, उसके बाद नहीं लगी एक भी ईंट

बिजेंद्र मलिक, जींद

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तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने साल 2014 में कन्या संस्कृत महाविद्यालय गुरुकुल खरल को अपने अधीन लेकर भगत फूल¨सह महिला विश्वविद्यालय खानपुर का रीजनल सेंटर बनाने का एलान किया था। इसके लिए ग्राम पंचायत ने 31 एकड़ जमीन सरकार को दी थी। आज इस जमीन पर झाड़ियां उगी हुई हैं।

तत्कालीन सीएम भूपेंद्र ¨सह हुड्डा ने जुलाई 2014 में नींव का पत्थर भी रखा। सत्ता बदलने के बाद इस जमीन पर रीजनल सेंटर के निर्माण की एक ईंट भी नहीं लगी है। रीजनल सेंटर बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि जिले में महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आएगा। लेकिन इन चार सालों में रीजनल सेंटर का दर्जा मिलने से आगे एक कदम भी नहीं बढ़ पाया। कन्या गुरुकुल के भवन में ही रीजनल सेंटर चल रहा है। जिसमें लगभग 700 छात्राएं पढ़ती हैं। बीए, बीएससी, बीकॉम आनर्स व बीए संस्कृत के कोर्स हैं। घोषणा के बाद रीजनल सेंटर बनाने की प्रक्रिया शुरू होती, तो अब तक भवन बनकर तैयार हो गया होता और एमए, एमकॉम, एमएससी जैसे पीजी कोर्स भी यहां शुरू हो गए होते। जिससे जींद ही नहीं, आसपास के जिलों से भी छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता।

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महिला शिक्षा को मिलता बढ़ावा

साल 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में महिलाओं की साक्षरता दर 60.76 है। प्रशासन के अनुसार इन सालों में महिला साक्षरता दर में करीब चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। लेकिन खरल में घोषणा के बाद अमल होता और रीजनल सेंटर का भवन बनता। जिससे नए-नए कोर्स महिलाओं के आते। इससे महिला शिक्षा को और बढ़ावा मिलता। खासकर नरवाना व उचाना जैसे क्षेत्र में महिलाओं के लिए अवसर और भी ज्यादा होते।

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प्रशासन को भी जानकारी नहीं

रीजनल सेंटर की घोषणा कब हुई थी और इसके लिए कितने बजट का प्रावधान है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन के पास भी नहीं है। इस बारे में डीडीपीओ कार्यालय से पता किया, तो इसका रिकॉर्ड नहीं मिला। सीएम घोषणाओं पर सीएम कार्यालय से कोड लग कर आता है, जिसका रिकॉर्ड आनलाइन होता है। लेकिन उनमें कहीं रीजनल सेंटर का जिक्र नहीं है। जिससे रीजनल सेंटर का भवन बनने की घोषणा ठंडे बस्ते में जाती लग रही है।

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विश्वविद्यालय का दर्जा देने के दिखाए सपने

तत्कालीन सीएम भूपेंद्र ¨सह हुड्डा ने जुलाई 2014 में रीजनल सेंटर का नींव पत्थर रखते हुए क्षेत्रवासियों को जल्द ही इसे विश्वविद्यालय का दर्जा देने के सपने दिखाए थे। उन्होंने कहा कि अगर तीसरी बार प्रदेश में उनकी सरकार बनी, तो वे इस रीजनल सेंटर को विश्वविद्यालय बना देंगे। लेकिन तीसरी बार उनकी सरकार नहीं बनी, तो क्षेत्रवासियों की उम्मीदें भी धरी रह गई। उसके बाद बीजेपी सरकार में एक भी ईंट इस पर नहीं लगी।

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रीजनल सेंटर के नाम पर मजाक

रीजनल सेंटर के नाम पर गांव व जिले के साथ मजाक हुआ है। ग्राम पंचायत द्वारा दी गई 31 एकड़ उपजाऊ जमीन पर आज झाड़ियां उगी हुई हैं। इसके लिए 9 करोड़ के बजट की घोषणा हुई थी, जिसमें से आधा पैसा जारी भी हो चुका है। लेकिन ये राशि कहां है, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

फौजी हरके राम, ग्रामीण

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स्टेटस का नहीं पता

रीजनल सेंटर के सुप¨रटेंडेंट दिनेश कुमार से बात की, तो उन्होंने बताया कि साल 2014 में कन्या गुरुकुल रीजनल सेंटर के अधीन लेकर इसमें शामिल कर लिया गया था। गुरुकुल के भवन में कक्षाएं लगती हैं। रीजनल सेंटर के भवन के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। वहीं डायरेक्टर मंजू पवार ने बताया कि भवन निर्माण की क्या प्रक्रिया चल रही है। इसका स्टेटस वे फाइल देखकर ही बता सकती हैं।


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