इनके लिए कोई संडे या छुट्टी नहीं, 12 से 15 घंटे ड्यूटी
कोरोना से जंग में नागरिक अस्पताल के डॉक्टर पूरी शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं। डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राजेश भोला भी अस्पताल के उन योद्धाओं में शामिल हैं जो लॉकडाउन के बाद से रोज 12 से 15 घंटे तक ड्यूटी कर रहे हैं।
कर्मपाल गिल, जींद
कोरोना से जंग में नागरिक अस्पताल के डॉक्टर पूरी शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं। डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राजेश भोला भी अस्पताल के उन योद्धाओं में शामिल हैं, जो लॉकडाउन के बाद से रोज 12 से 15 घंटे तक ड्यूटी कर रहे हैं। 23 मार्च के बाद संडे या किसी अन्य गजटेड अवकाश पर छुट्टी नहीं ली। लगातार ड्यूटी पर तैनात हैं। बावजूद इसके इनके चेहरे पर कभी थकान नहीं रहती।
दैनिक जागरण से बातचीत में डॉ. भोला ने कहा कि लॉकडाउन के बाद सभी लोगों में दहशत व डर का माहौल था। निडानी में कोरोना का पहला मरीज सामने आने के बाद यह डर और ज्यादा बढ़ गया। हर आदमी घबराया था। लेकिन ऐसे माहौल में सीएमओ साहब पूरी टीम को मोटिवेट करते रहे। लॉकडाउन के बाद वह आज तक बच्चों से मिलने घर नहीं गए हैं। उनसे प्रेरणा लेकर सभी डॉक्टर, नर्स व अन्य स्टाफ पूरी तन्मयता से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। वह लॉकडाउन के बाद से रोज सुबह साढ़े सात बजे अस्पताल में पहुंच जाते हैं। आठ बजे ओपीडी शुरू कर देते हैं। कोरोना आशंकित मरीजों के सैंपल लेने के बाद उनकी फाइल तैयार करने, रोज की रिपोर्ट तैयार करने, आइसोलेशन वार्ड में मरीज ज्यादा होने पर उन्हें क्वारंटाइन सेंटर में भेजने सहित सभी कार्य देखने पड़ते हैं। लॉकडाउन के बाद शुरू में 15 दिन तक फ्लू कॉर्नर में ड्यूटी दी। इसके बाद कई दिन आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगी। लेकिन कभी घबराहट महसूस नहीं की। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किए मरीजों तक खाना पहुंचाने, पानी पिलाने और दूसरी समस्याएं जानने के लिए उनके साथ लगातार बातें होती रही। मेरा प्रयास यही रहता है कि अस्पताल में दूसरे स्टाफ सदस्यों का भी हौसला बढ़ाता रहूं।
घर के चारों सदस्य अलग-अलग
डॉ. राजेश भोला ने बताया कि मुझे सारा दिन अस्पताल में रहना पड़ता है। इसलिए घर के सदस्यों में शुरू में घबराहट बढ़ गई थी। ऐसे में उन्होंने सुरक्षा के मद्देनजर 80 वर्षीय पिताजी श्री दौलतराम को अलग कमरे में क्वारंटाइन कर दिया है। उन्होंने घर से बाहर घूमना भी बंद कर दिया है। बेटा कार्तिक भतीजे के पास रहने लगा है। घर पहुंचने पर पत्नी ही दरवाजा खोलती हैं। मेरी कोशिश रहती है कि दरवाजे को हाथ न लगाया जाए। घर के बाहर आंगन में हाथ-मुंह धोकर और जूते उतारकर अंदर कमरे में इंट्री करता हूं। सीधे बाथरूम में जाकर नहाता हूं। इसके बाद अपने अलग कमरे में सोता हूं। अपने कपड़े वाशिग मशीन में डालकर खुद में धूप में सुखाता हूं।
एंबुलेंस इंचार्ज की भी जिम्मेदारी
नागरिक अस्पताल में करीब तीन साल से एंबुलेंस सेवा के इंचार्ज की जिम्मेदारी डॉ. राजेश भोला के पास है। वह बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद से दो एंबुलेंस को कोरोना आशंकित व संक्रमित मरीजों के लिए रिजर्व कर लिया था। जब भी कहीं से मरीजों को सैंपल लाने के लिए यहां लाया जाता है या कहीं छोड़कर आना होता है तो एंबुलेंस को सोडियम हाइपोक्लोराइड से सैनिटाइज किया जाता है।