भुगतान में देरी पर 500 आढ़तियों को नोटिस, 67 लाख रुपये ब्याज वसूला जाएगा
गेहूं का भुगतान समय पर नहीं करने वाले करीब 500 आढ़तियों को नोटिस भेजे गए हैं। इनसे भुगतान में देरी पर करीब 67 लाख रुपये की ब्याज राशि वसूल की जाएगी।
बिजेंद्र मलिक, जींद
गेहूं का भुगतान समय पर नहीं करने वाले करीब 500 आढ़तियों को नोटिस भेजे गए हैं। इनसे भुगतान में देरी पर करीब 67 लाख रुपये की ब्याज राशि वसूल की जाएगी। जींद की नई अनाज मंडी के 85 आढ़तियों को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने नोटिस भेजे हैं और जिलेभर में 400 आढ़तियों को नोटिस भेजे हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग इन आढ़तियों से करीब 10 लाख रुपये की राशि वसूल करेगा। आढ़तियों को मजदूरी और कमीशन मिलना है, उसी से ये राशि एजेंसी काटेंगी। गौरतलब है कि फसल बेचने के बाद किसानों को भुगतान के लिए काफी इंतजार करना पड़ा था। पहली बार किसान के सीधे खाते में गेहूं का भुगतान किया गया। सरकार ने फसल की राशि आढ़तियों के खातों में डाली। उसके बाद आढ़तियों ने किसानों के खातों में राशि डाली। लेकिन काफी किसानों के खातों में भुगतान करने में आढ़तियों ने देरी की। दो दिन से लेकर 10 से 12 दिन तक पेमेंट देरी से की गई। भुगतान में देरी का मामला खूब उछला। विपक्ष ने भी इसे बड़ा मुद्दा उठाते हुए प्रदेश सरकार को घेरा था और सरकार की ई-खरीद प्रणाली पर सवाल उठाते हुए पुरानी व्यवस्था के तहत आढ़तियों के माध्यम से ही ऑफलाइन खरीद कराने की मांग की थी। आढ़तियों को गेहूं की पेमेंट का भुगतान किसानों को 72 घंटे के अंदर करना था। लेकिन करीब 500 आढ़तियों ने पेमेंट के भुगतान में देरी की। उन आढ़तियों से 15 प्रतिशत सालाना ब्याज दर के हिसाब से उससे ब्याज वसूल किया जाएगा।
सरकार भी दे ब्याज
आढ़ती एसोसिएशन प्रधान जयभगवान ने कहा कि सरकार ने भी पेमेंट डालने में देरी की, इसलिए सरकार भी ब्याज दे। सही व्यवस्था ना होने के कारण आढ़तियों को पेमेंट डालने में परेशानी हुई। इसलिए सरकार ज्यादा जिम्मेदार है। आढ़तियों को लेबर और कमीशन दो माह बाद भी नहीं मिला है। सरकार उसका भी ब्याज दे। सरकार व्यापारी और किसान विरोधी फैसले ले रही है।
भेजे हैं नोटिस : आर्य
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी राजेश आर्य ने बताया कि जिन आढ़तियों ने पेमेंट में देरी की, उनको नोटिस भेजे गए हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने 400 आढ़तियों को नोटिस भेजे हैं। करीब 10 लाख रुपये राशि बनती है। आढ़तियों के कमीशन में से ब्याज की राशि काट कर संबंधित किसान के खाते में डाली जाएगी।