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निडाना में आई बाढ़, 2800 एकड़ खेत जलमग्न, गांव डूबने का खतरा

ग्राउंड रिपोर्ट गांव ललित खेड़ा, चाबरी, निडानी, पड़ाना में भी बाढ़ जैसे हालात, हजारों एक

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 06:38 PM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 06:38 PM (IST)
निडाना में आई बाढ़, 2800 एकड़ खेत जलमग्न, गांव डूबने का खतरा
निडाना में आई बाढ़, 2800 एकड़ खेत जलमग्न, गांव डूबने का खतरा

ग्राउंड रिपोर्ट

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गांव ललित खेड़ा, चाबरी, निडानी, पड़ाना में भी बाढ़ जैसे हालात, हजारों एकड़ धान व कपास की फसल डूबी फोटो: 24 की सीरीज जागरण संवाददाता, जींद

जींद से गोहाना रोड पर बसे गांव ललित खेड़ा, निडाना, चाबरी में बाढ़ आ गई है। इन गांवों की हजारों एकड़ खेती पूरी तरह पानी में डूब चुकी है। गांव निडाना के डूबने का खतरा बढ़ रहा है। शामलो-पड़ाना ड्रेन कई साल से साफ न होने से हालात ज्यादा डरावने हो गए हैं। यह गांव जिला मुख्यालय से मात्र 18 किलोमीटर दूर है, लेकिन 72 घंटे से कोई अधिकारी ग्रामीणों की सुध लेने नहीं पहुंचा है।

दैनिक जागरण की टीम ने शुक्रवार को गांव निडाना का दौरा किया। गांव के चारों तरफ नजर दौड़ाने पर सिर्फ पानी ही पानी दिखाई देता है। खेत में खड़ी पांच से छह फुट लंबी कपास की फसल पानी में डूब गई है। गांव में 2800 एकड़ जमीन है। जो पानी में न डूबी है। पूरा गांव चारों तरफ से पानी से घिर गया है। ग्रामीणों ने बताया कि 25 सितंबर की रात को गांव में पानी घुसना शुरू हुआ था, लेकिन अब तक प्रशासन ने कोई मदद नहीं की है। गांव के चारों तरफ ¨रग बांध बना हुआ है। लगातार पानी खड़ा होने के कारण वह भी टूटने के कगार पर पहुंच गया है। ग्रामीण इस ¨रग बांध को बचाने के लिए दिन-रात पहरा दे रहे हैं। इन लोगों ने 24 घंटे से खाना भी नहीं खाया है। यह बांध यानी फिरनी टूट जाती है तो गांव के 80 फीसदी घरों में पानी घुस जाएगा। गांव के वाटर सप्लाई की डिग्गी में पानी से 7 ट्यूबवेल बंद हो चुके हैं। सिर्फ एक ट्यूबवेल चल रहा है, जो गांव वालों ने अपने रुपयों से लगवाया हुआ है। पशु अस्पताल, पीएचसी, कन्या ग‌र्ल्स स्कूल में भी पानी भरा हुआ है। --गांव बचाने के लिए काटी सड़क

निडाना गांव में पानी का बहाव बढ़ने पर ग्रामीणों ने निडानी की तरफ ¨लक रोड काटकर पानी का रास्ता ड्रेन की तरफ किया है। ग्रामीणों ने कहा कि ड्रेन में पानी आगे बढ़ने के बजाय बैक मार रहा है। पानी के कारण गांव निडाना में जाने वाले सभी रास्ते बंद हो गए हैं। सिर्फ एक रास्ता ढिगाना की तरफ खुला हुआ है। इस रास्ते पर बीम डालकर मोटरसाइकिल व पैदल जाने का रास्ता बनाया हुआ है। गांव की फिरनी के अंदर पांच तालाब हैं, जो पूरी तरह ओवरफ्लो हैं। इसलिए डूबा गांव: चार साल से ड्रेन की सफाई नहीं

गांव निडाना के किसान जयपाल व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि चार साल से शामलो-पड़ाना ड्रेन की सफाई नहीं हुई है। इस कारण पानी निकलने का आगे कोई रास्ता नहीं बचा है। अधिकारियों की लापरवाही से हालात ज्यादा खराब हो गए हैं। इन ग्रामीणों ने कहा कि 25 सितंबर की रात को एसडीएम व तहसीलदार गांव आए थे। वह मौका देखकर चले गए। उसके बाद कोई अधिकारी नहीं आया। ग्रामीणों ने बताया कि वे ¨सचाई विभाग के एक्सईएन से मिले थे। उन्होंने कहा कि मेरे बस की बात नहीं है, एसई से मिल लो। एसई से मिले तो उन्होंने पूरी मदद का आश्वासन दिया और कहा कि मोटर व पाइप भिजवा देंगे। लेकिन शुक्रवार शाम तक कुछ नहीं दिया है। --स्कूल भी डूबा, निर्माणाधीन स्टेडियम में लग रही कक्षाएं

गांव निडाना के कन्या हाई स्कूल में भी पानी भर गया है। इसके चलते कई कक्षाएं निर्माणाधीन स्टेडियम में लग रही हैं। जो कक्षाएं स्कूल में लग रही हैं, उनमें बच्चियों को पानी में होकर जाना पड़ता है। बच्चे पटरी से फिसलकर पानी में न डूब जाएं, इसलिए अभिभावक छोटे बच्चों को छोड़ने व लेने आते हैं। गांव को बचाएं या मुआवजा के फार्म दें

किसान चंद्र ¨सह मलिक ने कहा कि साढ़े एकड़ जमीन में धान और नरमा की फसल लगा रखी थी। दोनों फसलों पर अब तक करीब 60 हजार रुपये खर्च हो चुका था। दोनों फसलें पानी में पूरी तरह से डूब चुकी हैं। हालात यह है कि खेत में अगली फसल न होने का भी संकट बढ़ गया है। चंद्र ¨सह ने कहा कि जिन किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, उनको मुआवजा भी डबल दिया जाना चाहिए। फसल बर्बाद होने के 48 घंटे के अंदर फार्म जमा करवाना होता है। लेकिन ग्रामीणों के सामने ¨चता है कि वह अपने गांव व घर को बचाएं या मुआवजा के फार्म भरें। प्रशासन ने नहीं दी मोटर-पाइप

पांच एकड़ जमीन के किसान जयपाल ने बताया कि फसल तो पूरी तरह खराब हो ही चुकी है। अब सभी लोग अपने स्तर पर गांव को बचाने में जुटे हुए हैं। वे दो दिन पहले उपायुक्त से भी मिले थे। उन्होंने मोटर और पाइप दिलवाने की बात कही थी। लेकिन अब तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है। --फसल नहीं, किसान बर्बाद हो गया

ग्रामीण तेलूराम ने कहा कि बाढ़ से फसल ही नहीं, किसान भी बर्बाद हो गया है। एक एकड़ धान में अब तक करीब 22 हजार रुपये और एक एकड़ कपास में करीब 15 हजार रुपये खर्च हो चुका है। लेकिन पानी से अब यह फसल तो खत्म हो ही गई है, अगली फसल होगी या नहीं, इस पर भी संकट आ गया है। गांव में पीने के पानी की समस्या पहले ही गंभीर थी। अब पशुओं का चारा भी खत्म हो गया है। पशुओं को सिर्फ सूखी तूड़ी खिलाकर ही काम चलाया जा रहा है। इस कारण चार दिन में ही पशु दूध से सूखने लग गए हैं। --इन गांवों का पानी आने से आई बाढ़

ग्रामीण राम ¨सह ने कहा कि पिल्लूखेड़ा, भिड़ताना, गांगोली से ललित खेड़ा की तरफ पानी आ रहा है। वहां से गोहाना रोड पर साइफन में से पानी निडाना में आ रहा है। इससे गांव निडाना, चाबरी, ललित खेड़ा, निडानी, पड़ाना, शामलो में भी बाढ़ के हालात बन गए हैं। --25 को घुसा पानी, कल चलाई लिफ्ट

गांव निडाना के ग्रामीणों ने बताया कि 25 सितंबर को उनके गांव में पानी आना शुरू हुआ था। पानी की निकासी के लिए शामलो ड्रेन से आगे सुंदर ब्रांच नहर में 6 लिफ्ट लगा रखी हैं। इनमें से प्रशासन ने 3 लिफ्ट कल चलाई हैं। यदि यह लिफ्ट से चल रहीं होती तो हालात इतने विकट नहीं होते।


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