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पहले कोरोना और अब बजट ना होने से 10 माह से नहीं हुई नगर परिषद हाउस की मीटिग

नगर परिषद की हाउस की मीटिग हुए कई माह हो चुके हैं। आखिरी मीटिग फरवरी में हुई थी। जो वित्त वर्ष 2020-21 के बजट को लेकर थी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2020 06:50 AM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 06:50 AM (IST)
पहले कोरोना और अब बजट ना होने से 10 माह से नहीं हुई नगर परिषद हाउस की मीटिग
पहले कोरोना और अब बजट ना होने से 10 माह से नहीं हुई नगर परिषद हाउस की मीटिग

जागरण संवाददाता, जींद : नगर परिषद की हाउस की मीटिग हुए कई माह हो चुके हैं। आखिरी मीटिग फरवरी में हुई थी। जो वित्त वर्ष 2020-21 के बजट को लेकर थी। उसके बाद से 10 माह में नगर परिषद की कोई मीटिग नहीं हुई। नियमानुसार प्रधान को हर माह हाउस की मीटिग बुलानी होती है। जिसमें शहर के विकास कार्यों पर चर्चा की जाती है और नए प्रस्तावों को मंजूरी दी जाती है। किसी इमरजेंसी में पांचवे हिस्से के पार्षद यानि 31 में से सात पार्षद भी मीटिग बुलाने के लिए डीसी को चिट्ठी लिख सकते हैं। प्रधान पूनम सैनी की तरफ से मीटिग ना बुलाने के पीछे पहले कोरोना का हवाला दिया जाता रहा। अब नगर परिषद के पास बजट नहीं होने की बात कही जा रही है। वहीं पार्षदों की भी शहर के विकास कार्यों की बजाय प्रधान पूनम सैनी को कुर्सी से हटाने पर है। प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए डीसी को 21 पार्षदों की तरफ से 18 सितंबर को डीसी डा. आदित्य दहिया को शपथ पत्र दिए गए थे। अविश्वास प्रस्ताव पर चार जनवरी को वोटिग के लिए मीटिग होगी। शहरवासी भी उम्मीद लगा रहे हैं कि इस मीटिग में फैसला किसी के भी पक्ष में आए, लेकिन लंबे समय से विकास कार्यों पर लगा ग्रहण हट जाए।

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पिछले साल मंजूर हुए करोड़ों के काम भी नहीं हुए

लंबे समय से मीटिग ना बुलाने के पीछे कोरोना महामारी का बहाना बनाया जा रहा है। लेकिन पिछले साल हाउस की मीटिगों में जो काम मंजूर हुए थे। उनमें से करीब 35 करोड़ रुपये के काम शुरू नहीं हुए। इनमें महापुरुषों के नाम पर बने चौक का जीर्णोद्धार, शहर के द्वार और कई गलियों के काम शामिल हैं। इन कामों के शुरू नहीं होने के पीछे नगर परिषद प्रधान अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। प्रधान पूनम सैनी और ईओ (कार्यकारी प्रधान) डा. एसके चौहान में भी खींचतान चल रही है।

कार्यालय नहीं आ रही प्रधान

17 जुलाई को प्रधान पूनम सैनी के पति बीजेपी नेता जवाहर सैनी और काला सैनी का ईओ डा. एसके चौहान के साथ विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद से ही प्रधान और ईओ में खींचतान शुरू हुई। लंबे समय से प्रधान अपने कार्यालय भी नहीं आ रही हैं। जिसका सीधा कार्यालय के कामों पर भी पड़ रहा है। फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं होने की वजह से कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पाता। यहां तक कि ईओ का भी वेतन रुका हुआ है। वहीं ठेकेदारों की पेमेंट का भुगतान भी समय पर ना होने से विकास कार्य प्रभावित होते हैं।

सरकार से मांगे हुए हैं 20 करोड़ : प्रधान

प्रधान पूनम सैनी ने बताया कि नगर परिषद के पास बजट नहीं है। सरकार से 20 करोड़ रुपये का बजट मांगा हुआ है। लेकिन कोरोना की वजह से सरकार से बजट नहीं मिला। करोड़ों रुपये के काम पिछले साल हाउस की मीटिग में मंजूर हुए थे। जो अब तक नहीं हुए। टेंडर लगा कर काम कराने की जिम्मेदारी नगर परिषद अधिकारियों की है। सरकार से जल्द बजट मिलने की उम्मीद है। 4 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव पर मीटिग होगी। जिसके बाद हाउस की मीटिग बुलाई जाएगी।


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