फसल अवशेष को खेत में मिलाकर गेहूं की सीधी बिजाई कर लागत घटा ज्यादा मुनाफा लें किसान : डा. राणा
कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिडारा में फसल अवशेष प्रबंधन पर कार्यक्रम हुआ। जिसमें केंद्र प्रभारी डा. बीपी राणा वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक बागवानी विशेषज्ञ डा. रामदयाल पवार मिट्टी-पानी विशेषज्ञ डा. संत कुमार मलिक डा. रमेश सिंहमार ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन फसलों की बिजाई मिट्टी जांच और पशु पालन के बारे में जानकारी दी।
जागरण संवाददाता, जींद : कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिडारा में फसल अवशेष प्रबंधन पर कार्यक्रम हुआ। जिसमें केंद्र प्रभारी डा. बीपी राणा, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक, बागवानी विशेषज्ञ डा. रामदयाल पवार, मिट्टी-पानी विशेषज्ञ डा. संत कुमार मलिक, डा. रमेश सिंहमार ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन, फसलों की बिजाई, मिट्टी जांच और पशु पालन के बारे में जानकारी दी। किसानों को फसल अवशेष ना जलाने की भी शपथ दिलाई गई। डा. बीपी राणा ने किसानों को संबोधित करते हुए ने कहा कि अब ऐसे आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध हैं, जिससे धान कटाई के बाद आसानी से सीधे गेहूं की बिजाई की जा सकती है। इससे किसान फसल की लागत कम कर ज्यादा पैदावार ले सकते हैं। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक ने कहा कि किसान फसल अवशेष को जलाने से प्रदूषण फैलता है और जमीन की उपाजऊ शक्ति भी नष्ट हो रही है। फसल अवशेष को काट कर खेत में मिलाने से पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। नया कृषि यंत्र सुपर सीडर आया है, जो फसल अवशेष को काट कर जमीन में मिलाकर गेहूं की बिजाई करता है। वहीं जीरो टिल ड्रिल और हैप्पी सीडर से भी किसान गेहूं की सीधी बिजाई कर अच्छी पैदावार ले रहे हैं। बागवानी विशेषज्ञ डा. रामदयाल पवार ने कहा कि फसल अवशेष में आग लगाने से जमीन के पोषक तत्व नष्ट होने के साथ-साथ हरियाली को भी नुकसान पहुंचता है। फसल अवशेष में आग लगाना कानूनी अपराध है। फसलों के साथ-साथ किसान बागवानी पर भी जोर दें। जिससे वे अपनी आय बढ़ा सकते हैं। पिल्लूखेड़ा खंड कृषि अधिकारी डा. सुभाष चंद्र ने किसानों को फसल चक्र विधि अपनाने के लिए जागरूक किया।
मिट्टी-पानी की कराएं जांच
मिट्टी-पानी विशेषज्ञ डा. संत कुमार मलिक ने किसानों को मिट्टी व पानी की जांच नियमित रूप से कराने की सलाह देते हुए कहा कि जानकारी के अभाव में जरूरत से ज्यादा खाद व अन्य पोषक तत्व डालते रहते हैं। जिसका फसल को फायदा मिल पाता। मिट्टी जांच से पता चल जाता है कि खेत को कौन सा पोषक तत्व कितनी मात्रा में चाहिए। जरूरी मात्रा में पोषक तत्व मिलने से फसल का उत्पादन बढ़ेगा।
पशुओं को खिलाएं पौष्टिक आहार
पशु वैज्ञानिक डा. रमेश सिंहमार ने किसानों को पराली को पशु चारे के रूप में प्रयोग करने की सलाह देते हुए उनकी देखभाल के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि पशु किसान के लिए खेती के साथ आमदनी का प्रमुख साधन है। पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। दूध बढ़ाने में सहायक पोषक तत्वों के बारे में भी किसानों को बताया।