कृषि कानूनों से बर्बाद हो जाएगा किसान: कंडेला
कृषि कानूनों के विरोध में सोमवार को जींद-कैथल रोड पर गांव कंडेला में बैंक के पास अनिश्चितकालीन धरने के दूसरे दिन किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
जागरण संवाददाता, जींद: कृषि कानूनों के विरोध में सोमवार को जींद-कैथल रोड पर गांव कंडेला में बैंक के पास अनिश्चितकालीन धरने के दूसरे दिन किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। दलबीर सिंह उर्फ दल्लू कंडेला की अध्यक्षता में फैसला लिया कि किसानों को धरने पर बुलाने के लिए गांव-गांव जाकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। किसानों की धान, बाजरा व दूसरी फसलों की खरीद में कोताही या सरकारी दफ्तरों की शिकायत पर भाकियू द्वारा कार्यवाही करके समाधान करवाया जाएगा।
किसानों ने कहा कि सरकार के एक देश एक बाजार के तहत मंडियां खत्म हो जाएंगी। इसमें मजदूर, व्यापारी, छोटा दुकानदार, किसान बर्बाद होंगे क्योंकि व्यापारी मनमर्जी से फसलों को खरीदेंगे। कम्पनी व किसान के समझौते के तहत कम्पनी मनमर्जी से फसल बिजवाएंगी। खाद, बीज, दवाई भी कंपनी ही देंगी। भाव भी तय हो जाएगा, लेकिन खरीदने के वक्त क्वालिटी का बहाना बनाकर खरीद से मुकर जाएगा। फसल को रिजेक्ट करके बहुत ही कम भाव पर खरीद करेगी या बिलकुल ही नहीं खरीदेगी। ऐसे में किसान अपनी फसल को कहां लेकर जाएगा औने-पौने दामों में उसी को देगा।
तीसरे कानून के तहत अनाज, दाल आलू, प्याज, खाद्य तेल आदि जीवन उपयोगी वस्तु 1955 के कानून के तहत मानी गई और स्टाक करने का लाइसेंस एफसीआई से लेना पड़ता था। स्टाक करने की लिमिट होती थी, वह भी खत्म करके कितना ही स्टाक कर सकता है। फिर किसी भी चीज की कमी दिखाकर ऊंचे भाव से उपभोक्ताओं को महंगी दी जाएंगी। किसानों से सस्ती लेकर और उपभोक्ताओं को महंगी देकर मारा जाएगा। धरने पर जियालाल सिंहमार, आजाद रेढू, कुलदीप उर्फ पप्पू, कपूरा, साधू राम, राममेहर, रामचंद्र, प्रेम सिंह, छज्जूराम, श्रीराम फौजी, ठंडीराम, संदीप खोखरी आदि मौजूद रहे।