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बंपर पैदावार से पिछले साल का भी टूटा रिकॉर्ड, गोदामों में जगह कम पड़ने से आधे से ज्यादा गेहूं रखा जाएगा खुले में

रबी सीजन में मौसम अनुकूल रहने से इस बार जिले में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। पैदावार में अब तक के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं और बृहस्पतिवार सायं तक लगभग 7.63 लाख टन गेहूं की आवक हो चुकी है। जबकि पिछले साल 7.55 लाख टन गेहूं की आवक हुई थी। अभी मंडियों में गेहूं आ रहा है जिससे आवक पहली बार आठ लाख टन के पार पहुंचने के आसार हैं। बंपर पैदावार होने के कारण गोदामों में भी जगह कम पड़ गई है। जिसके चलते 60 से 70 प्रतिशत से ज्यादा गेहूं का खुले में भंडारण होगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 05:51 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 05:51 AM (IST)
बंपर पैदावार से पिछले साल का भी टूटा रिकॉर्ड, गोदामों में जगह कम पड़ने से आधे से ज्यादा गेहूं रखा जाएगा खुले में
बंपर पैदावार से पिछले साल का भी टूटा रिकॉर्ड, गोदामों में जगह कम पड़ने से आधे से ज्यादा गेहूं रखा जाएगा खुले में

जागरण संवाददाता, जींद : रबी सीजन में मौसम अनुकूल रहने से इस बार जिले में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। पैदावार में अब तक के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं और बृहस्पतिवार सायं तक लगभग 7.63 लाख टन गेहूं की आवक हो चुकी है। जबकि पिछले साल 7.55 लाख टन गेहूं की आवक हुई थी। अभी मंडियों में गेहूं आ रहा है, जिससे आवक पहली बार आठ लाख टन के पार पहुंचने के आसार हैं। बंपर पैदावार होने के कारण गोदामों में भी जगह कम पड़ गई है। जिसके चलते 60 से 70 प्रतिशत से ज्यादा गेहूं का खुले में भंडारण होगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के गोदामों में पिछले साल का भी कुछ गेहूं बचा था। इस बार करीब 80 प्रतिशत गेहूं का भंडारण खुले में होगा। हैफेड के गोदामों में भी पिछले साल का काफी गेहूं बचा हुआ है। जिसके चलते इस बार 50 प्रतिशत गेहूं का खुले में भंडारण करना होगा। इसी प्रकार वेयर हाउस की बात करें, तो उनका भी 60 प्रतिशत से ज्यादा गेहूं के बैग खुले में लगाए जा रहे हैं। पिछले साल भी गोदामों में जगह कम होने के कारण आधे से ज्यादा गेहूं का खुले में भंडारण हुआ था। कब कितना हुआ उत्पादन

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--2013 5 लाख 90 हजार टन

--2014 5 लाख 98 हजार टन

--2015 6 लाख 2 हजार 467 टन

--2016 6 लाख 23 हजार 230 टन

--2017 6 लाख 93 हजार टन

--2018 7 लाख 55 हजार टन

--2019 7 लाख 63 हजार 485 टन (अब तक) बंपर पैदावार के कारण

पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रति एकड़ चार से पांच मन गेहूं ज्यादा निकल रहा है। पिछले साल जहां अच्छी फसल थी, उसमें 50 से 55 मन गेहूं निकला था। इस बार ज्यादातर किसानों के 55 से 60 मन तक गेहूं का उत्पादन हुआ है। वहीं 65 मन तक भी गेहूं निकली है। जिले में लगभग 2.17 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल थी। हर साल लगभग इतना ही एरिया रहता है। सितंबर-अक्टूबर में अच्छी बारिश हुई। जिसका फायदा गेहूं की फसल को मिला। बीज का अंकुरण सही हुआ और फुटाव भी ज्यादा रहा। वहीं पूरे रबी सीजन समय-समय पर बारिश होने के साथ मार्च के अंत तक ठंड बनी रही। इससे गेहूं को पकने के लिए पूरा समय मिला। अब तक हुई आवक

जिले की अनाज मंडियों व अन्न खरीद केंद्रों में बृहस्पतिवार सायं तक 763485 टन गेहूं की खरीद की गई है। जुलाना में सबसे अधिक 88796 टन, जींद में 85260 टन, नरवाना में 85073 टन, सफीदों में 81529 टन, उचाना अनाज मंडी में 81615 टन, पिल्लूखेड़ा में 64277 टन, अलेवा में 23853 टन, बेरलखां में 6220 टन, छातर में 14470 टन, धमतान में 27529 टन, धनौरी में 12243 टन, फरैण कलां में 5850 टन, गढ़ी में 15530 टन, हाट में 4476 टन, काब्रछा में 7930 टन, खरल में 8362 टन, खरकरामजी में 7684 टन, मंगलपुर में 8630 टन, नगूरां में 30095 टन, फूलियां कलां 3926 टन, राजपुरा में 7401 टन, सिवाना माल में 9411 टन, शामलो कलां में 6600 टन, खुदकैण खुर्द में 7968 टन, उझाना में 14486 टन, मुआना में 2530 टन, लुदाना में 10393 टन, फतेहगढ़ में 3026 टन, घोघडिय़ां में 12345 टन, डिडवाडा में 3096 टन, ऐंचरा खुर्द 4663 टन, दनौदा कलां गांव में 14865 टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पिछले साल भी खुले में था भंडारण

गोदामों में कम क्षमता होने से जिले में पहले भी खुले में गेहूं का भंडारण होता रहा है। पहले ज्यादा से ज्यादा करीब 30 प्रतिशत गेहूं ही बाहर रहता था, लेकिन दो साल से दूसरे राज्यों में गेहूं की डिमांड घटने से गोदाम खाली नहीं हो पाते। पिछले साल भी 70 प्रतिशत गेहूं को गोदामों में जगह नहीं मिल पाई थी। खुले में वैज्ञानिक तरीके से गेहूं के भंडारण में जहां खर्च बढ़ता है। वहीं खुले में रखे गेहूं की सुरक्षा भी बढ़ानी पड़ेगी, इससे भी अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पास जींद में 6800 टन और नरवाना में 15 हजार टन रखने के लिए कवर्ड एरिया है। गेहूं ज्यादा होने के कारण बाकी का भंडारण खुले में करना पड़ेगा। इसके अलावा जुलाना और पिल्लूखेड़ा में कवर्ड गोदाम न होने के कारण बाहर गेहूं का भंडारण करना होगा। खुले में वैज्ञानिक तरीके से भंडारण किया जाता है, जिसमें गेहूं सुरक्षित रहता है।

राजेश आर्य, डीएफएससी

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