स्टेडियम के तीन हॉल पर चुनाव आयोग काबिज, बैडमिटन, कुश्ती, कबड्डी के खिलाड़ी परेशान
सरकार और प्रशासन की बेरुखी के चलते जिले में खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।
जागरण संवाददाता, जींद:
सरकार और प्रशासन की बेरुखी के चलते जिले में खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। खिलाड़ियों को न तो प्रैक्टिस के लिए स्टेडियम में सुविधाएं मिल रही हैं और न ही पूरे कोच हैं। जींद का एकलव्य स्टेडियम वर्षो बाद भी खेल विभाग के अधीन नहीं हो पाया है तो अर्जुन स्टेडियम पर पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से निर्वाचन आयोग का कब्जा है। इस कारण किसी भी इनडोर खेल की प्रैक्टिस नहीं हो पा रही है।
खिलाड़ियों के प्रैक्टिस और खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए जिला मुख्यालय पर अर्जुन स्टेडियम और एकलव्य स्टेडियम बनाए हैं। 12 करोड़ की लागत से बना एकलव्य स्टेडियम पांच साल से भी ज्यादा समय से बनकर तैयार है, लेकिन अभी तक उसे खेल विभाग के अधीन नहीं आया। स्टेडियम का भवन खंडहर होने लगा है। यहां लगी ग्रिल और चहारदीवारी टूटने लगी हैं। एकलव्य स्टेडियम का मैदान भी देखरेख के अभाव में बंजर होता जा रहा है। एकलव्य स्टेडियम का खेल प्रतियोगिताओं से ज्यादा प्रयोग तो रैलियों के लिए हो रहा है। यहां खिलाड़ियों के लिए पानी की सुविधा नहीं है। बाथरूम भी अक्सर बंद रहते हैं। इसी तरह अर्जुन स्टेडियम के बैडमिटन और कुश्ती हॉल पर चुनाव आयोग का कब्जा है। मल्टीपर्पज हॉल में कबड्डी और हैंडबॉल के खिलाड़ी प्रैक्टिस करते थे। उन्हें भी परेशानी हो रही है। थोड़ी सी बारिश में अर्जुन स्टेडियम के ट्रैक पर पानी भर जाता है, जिससे सभी खिलाड़ियों को परेशानी होती है। अर्जुन स्टेडियम के हॉल में कैसे करें प्रैक्टिस
अर्जुन स्टेडियम में इनडोर खेलों की प्रेक्टिस के लिए जो हॉल बने हैं, उन पर पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से निर्वाचन आयोग ने कब्जा कर रखा है। तीनों हॉल में लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम रखी थीं। इसके बाद से ही इन पर ताला लटका है। टेबल टेनिस, बॉक्सिंग, कुश्ती, कराटे समेत दूसरे खेलों के खिलाड़ी प्रैक्टिस ही नहीं कर पा रहे। ट्रैक खराब, एकलव्य स्टेडियम की भी व्यवस्था खराब
अर्जुन स्टेडियम मात्र रेस लगाने योग्य रह गया है। इसमें भी रेस का ट्रैक खराब होने लगा है। नंगे पांव तो खिलाड़ी इस ट्रैक पर दौड़ नहीं लगा सकते। इसके अलावा एकलव्य स्टेडियम में भी रेस लगाने से लेकर दूसरी सुविधाओं की व्यवस्था खराब हो चुकी है। कोच तक पूरे नहीं, कैसे जीतेंगे पदक
ऐसा नहीं है कि जिले के खिलाड़ियों के लिए केवल सुविधाओं की कमी है। खेल के गुर सिखाने वाले कोच भी कम हैं। जिले में बैडमिटन के कम से कम तीन कोच चाहिए, लेकिन एक ही है, वह भी दिव्यांग श्रेणी के तहत नियुक्त है, जबकि यह सामान्य श्रेणी के होने चाहिएं। बॉक्सिंग के लिए जिला मुख्यालय पर कोई भी कोच नहीं है। तलवारबाजी और लॉन टेनिस का कोई भी कोच जिले में इस समय नियुक्त नहीं है। कबड्डी, कुश्ती, टेबल टेनिस, वुशु, बास्केटबॉल, फुटबॉल के लिए भी मात्र एक-एक कोच ही हैं, जबकि एक जिले में हर खेल के कम से कम तीन कोच होने चाहिएं। 18 दिसंबर तक होंगे हॉल खाली: जेजी बनर्जी
जिला खेल अधिकारी जेजी बनर्जी ने कहा कि अर्जुन स्टेडियम के दोनों हॉल को 18 से 20 दिसंबर तक खाली करा दिया जाएगा। जल्द ही निर्वाचन आयोग की ओर से वहां से सामान उठा लिया जाएगा। इसके बाद खिलाड़ियों को इनडोर खेलों की प्रैक्टिस में कोई दिक्कत नहीं आएगी। एकलव्य स्टेडियम को लेकर भी डीसी डॉ. आदित्य दहिया को लिखा है।