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12 में से 8 किसानों ने किया स्ट्रा बेलर खरीदने से इन्कार

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए जींद जिले में 100 स्ट्रा बेलर पर सब्सिडी देने का फैसला किया। खानापूर्ति के तौर पर किसानों को आवेदन के लिए आठ व नौ नवंबर का समय दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 09:42 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 09:42 AM (IST)
12 में से 8 किसानों ने किया स्ट्रा बेलर खरीदने से इन्कार
12 में से 8 किसानों ने किया स्ट्रा बेलर खरीदने से इन्कार

बिजेंद्र मलिक, जींद : सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए जींद जिले में 100 स्ट्रा बेलर पर सब्सिडी देने का फैसला किया। खानापूर्ति के तौर पर किसानों को आवेदन के लिए आठ व नौ नवंबर का समय दिया गया। सरकार व प्रशासन पराली प्रबंधन को लेकर कितना गंभीर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आवेदन करने की निर्धारित तिथि बीत जाने के बाद सूचना दी गई। जिससे समय पर ज्यादातर किसानों को इसकी जानकारी नहीं मिली। आठ व नौ नवंबर को केवल 12 किसानों के आवेदन ही कृषि विभाग के पास पहुंचे। आवेदन करने वाले इन 12 किसानों में से आठ ने स्ट्रा बेलर खरीदने से मना कर दिया। क्योंकि धान कटाई का सीजन अंतिम दौर में चल रहा है। स्ट्रा बेलर की कीमत पांच लाख से लेकर 12 लाख रुपये तक है। सीजन खत्म होने के बाद स्ट्रा बेलर पर लाखों रुपये खर्च करना किसान घाटे का सौदा मान रहे हैं। स्ट्रा बेलर पर सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। लेकिन इसके बावजूद किसान इसे खरीदने में रुचि नहीं ले रहे हैं। क्योंकि एक साल बाद धान कटाई के सीजन में ही इसका प्रयोग होगा।

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सब्सिडी में भी होती है देरी

सरकार द्वारा जो सब्सिडी कृषि यंत्रों पर दी जाती है, उसका जारी करने का भी कोई निर्धारित समय नहीं होता है। कृषि विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर रोटावेटर, हैप्पी सीडर, रोटरी श्लेशर व अन्य कृषि यंत्र सब्सिडी पर देने के लिए जुलाई में आवेदन मांगे थे। जिनका ड्रॉ सितंबर में निकाला गया। चयनित किसान कृषि यंत्र खरीद भी चुके हैं। लेकिन अभी तक सब्सिडी का पैसा विभाग की तरफ से किसानों के खाते में डाला गया है।

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लाखों रुपये इनवेस्ट करने से हट रहे पीछे

ऐसे में अगर कोई किसान बैंक से लोन लेकर या किसी से ब्याज पर पैसे लेकर 10 या 12 लाख रुपये खर्च कर स्ट्रा बेलर मशीन खरीद भी ले, तो सुनिश्चित नहीं है कि कब तक उसके खाते में 50 प्रतिशत सब्सिडी की राशि आ जाएगी। ऐसे में किसान लाखों रुपये स्ट्रा बेलर पर इनवेस्ट करने से भी पीछे हट रहे हैं। किसानों की मांग है कि सब्सिडी की राशि कृषि यंत्र खरीद के समय ही किसान को दी जाए।

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स्ट्रा बेलर का कार्य

स्ट्रा बेलर ट्रैक्टर के पीछे जोड़ा जाता है। ये कंबाइन से धान कटाई के बाद जो कटा हुआ फसल अवशेष खेत में बचता है। उसको इकट्ठा करके उसकी गांठ बनाता है। जिन्हें फैक्ट्रियों में बेचा जा सकता है या किसी और काम लाया जा सकता है। लेकिन खेत में बगैर कटे फसल अवशेष को काटने के लिए अलग से रोटरी श्लेशर की जरूरत पड़ती है।


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