हमें किसी का खून नहीं, दूध पीना है : मुनि प्रणीत
मुनि पणीत ने अपने प्रवचनों में कहा कि ईमानदारी की कमाई करें। ईमानदारी से की कमाई मानसिक शांति प्रदान करती है और गलत रास्तों से की गई कमाई गलत जगह ही खराब हो जाती है।
जागरण संवाददाता, जींद : मुनि पणीत ने अपने प्रवचनों में कहा कि ईमानदारी की कमाई करें। ईमानदारी से की कमाई मानसिक शांति प्रदान करती है और गलत रास्तों से की गई कमाई गलत जगह ही खराब हो जाती है। आप अपने व्यापारिक संस्थानों को साफ-सुथरा रखें। अगर आप धार्मिक व्यक्ति हो तो आपका व्यापार भी धर्म का अंग होना चाहिए। एक घटना का जिक्र करते हुए मुनि ने कहा कि मुझे रामचंद्र भाई की वह बात याद आ रही है, जब रामचंद्र अपना व्यापार करते थे एक बार किसी सेठ से उनका मोल भाव का व्यापार हुआ। उस वक्त के हिसाब से रामचन्द्र को माल देने का वादा हुआ, उसके लिए एक कागज पर लिखितनामा भी हुआ। मगर कुछ दिनों के अन्दर उस सामान के भावों में उछाल आ गया। उसको दिक्कत आ गई कि कैसे रामचन्द्र का माल दिया जा सके। घबरा गया और एक दिन वह रामचन्द्र के पास आया और कहने लगा आपके साथ मैंने माल देने की बात रखी है। मैं आपकी पाई-पाई चुका दूंगा। मैं अपना घर बेचकर आपका सब कुछ चुकता कर दूंगा। रामचन्द्र ने कहा कि पहले आपके साथ जो लिखितनामा हुआ था वो पर्ची मुझे दिखाओ। उसने लिखित पर्ची रामचंद्र को दे दी। अब रामचन्द्र ने अपनी दराज से एक पर्ची निकालकर उस पर्ची से मिलाकर फाड़ दी और उससे रामचन्द्र ने कहा कि रामचन्द्र दूध तो पी सकता है, किसी का खून नहीं। इस मौके पर प्रधान सुरेश जैन, विनोद जैन, मनोज जैन, अभय कुमार जैन, डीआर जैन, प्रकाश जैन, अमित, रजनीश जैन, नवीन सिरसा, रामचन्द्र जैन, सतीश जैन मौजूद रहे।