72 घंटे भूखे-प्यासे रहकर ढेर किए थे 42 पाक सैनिक
कारगिल युद्ध में अग्रिम मोर्चे पर तैनात रहे सूबेदार मेजर जयपाल सिंह से मिलिये। इनकी आंखों के सामने कई जवानों को गोलियां लगी और शहीद हो गए। 17 जाट रेजिमेंट के मोबाइल फायर कंट्रोल की भूमिका में जयपाल के निर्देश पर भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर गोलियां बरसाई और उन्हें ढेर किया।
कर्मपाल गिल, जींद
कारगिल युद्ध में अग्रिम मोर्चे पर तैनात रहे सूबेदार मेजर जयपाल सिंह से मिलिये। इनकी आंखों के सामने कई जवानों को गोलियां लगी और शहीद हो गए। 17 जाट रेजिमेंट के मोबाइल फायर कंट्रोल की भूमिका में जयपाल के निर्देश पर भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर गोलियां बरसाई और उन्हें ढेर किया। कारगिल की बात चलते ही युद्ध का पूरा दृश्य जयपाल की आंखों के सामने आ जाता है। बतौर जयपाल यह ऐसा युद्ध था, जिसमें हर सैनिक के अंदर देशभक्ति की ज्वाला फूट रही थी।
पढि़ये सूबेदार मेजर जयपाल की जुबानी
यह अप्रैल 1999 की बात है। तब हमारी 17 जाट रेजिमेंट की टुकड़ी नौगांव से आगे होशियार ग्राउंड में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर थी। 29 मई की रात को आदेश मिला कि कुछ उग्रवादी इलाके में घुस आए हैं, उन्हें खदेड़ना है। तभी गाड़ियां आगे चल पड़ी। 23 मई की रात को सोनमार्ग पहुंचे। अगली सुबह कर्नल यूएस बावा ने पलटन को इकट्ठा करके कहा कि जितने यहां हो, वापस उतने ही देखना चाहता हूं। 28 मई को .4540 ऊंचाई पर रिज लाइन पर पहुंच गए। दिन में कोई हरकत नहीं की। अंधेरे में कार्रवाई होती थी। तब तक हम उग्रवादी मानकर चल रहे थे। 28 की रात एक बजे पहली बार फायर किया और सैडल पर कब्जा कर लिया। 29 मई की रात को हमने फायर किया। कोई हरकत नहीं हुई। हम आगे बढ़े और जब 100 मीटर की दूरी रह गई तो फिर फायर किया। तब सामने से 45 डिग्री क्रॉस पर सामने से फायरिग हुई और मेरी आंखों के सामने मेरे दो मीटर पीछे पांच जवान शहीद हो गए। तभी हमें समझ आ गया कि ये उग्रवादी नहीं, पाक सैनिक हैं। उनकी फायरिग से बर्फ में गड्ढे बन गए थे। पूरी रात हम गड्ढों में पड़े रहे। दिन में दो बजे बर्फ पड़नी शुरू हुई तो वापस चले। फिर एक महीने तक रेकी की। पाक सैनिक 6 से 8 किलोमीटर अंदर आए हुए थे। पांच जुलाई को सैडल, व्हेल बैक और पिपल-1 व 2 पर फायरिग हुई। पाक सैनिकों ने हमारी राशन की सप्लाई काट दी। पानी लेने गए सिपाही कालूराम व सूबेदार की गोली लगने से मौत हो गई। तब वे पिपल-1 पहाड़ी पर थे। मस्को गांव से राशन जाता था। पाक सैनिकों ऊपर से लगातार हमले कर रहे थे। इस कारण राशन सप्लाई कट गई और 6, 7, 8 जुलाई को भूखे-प्यासे रहे। 8 जुलाई को भूख-प्यास से बेहाल हो गए थे। तब हमने फैसला लिया कि भूखे मरें, इससे अच्छा अटैक करके शहीद हो जाएं। और दिन में 17 जाट रेजिमेंट के 40 जवानों सीढ़ी से ऊपर चढ़कर 3 बजे एकदम अटैक कर दिया और 22 पाक सैनिकों को ढेर कर दिया। उन्हें विश्वास ही नहीं था कि दिन में भी हमला हो सकता है। उस समय 2 से 3 डिग्री तापमान था। इस पूरी कार्रवाई में हमारे 34 जवान, एक कैप्टन अनूप नैयर व एक जेसीओ शहीद हो गया था। जबकि 4 अफसर, 10 जेसीओ और 113 जवान घायल हुए थे।
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कैप्टन नैयर हाथ की रेखा दिखाकर बता रहे 85 साल तक जिऊंगा और तभी राकेट ने चिथड़े कर दिए
सूबेदार मेजर जयपाल ने बताया कि पिपल-1 पहाड़ी पर 17 जाट रेजिमेंट के कैप्टन अनूप नैयर अपने साथी को हाथ की रेखाएं दिखाकर बता रहे थे कि एक संत ने कहा है कि आप 85 साल तक जीओगे। तभी एक रॉकेट सीधा उन पर लगा और उनके शरीर के चिथड़े हो गए। बाद में उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उनकी रेजिमेंट को 4 वीर चक्र, 6 सेना मेडल, 20 मैनसन इन डिस्पैच, 10 कमेंडेशन कार्ड सहित यूनिट को साइटेशन, बैटल ऑनरर मस्को व बैटल थिएटर कारगिल से सम्मानित किया गया।