विकास के लिए तरस रहा तीन मंत्रियों का गांव डूमरखां
प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उनके पैतृक गांव डूमरखां कलां को नहीं जानता हो। डूमरखां कलां का दूसरा हिस्सा डूमरखां खुर्द के दोनों तालाब ओवरफ्लो हो चुके हैं और तालाब का पानी मेन गली में घुस गया है।
जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उनके पैतृक गांव डूमरखां कलां को नहीं जानता हो। डूमरखां कलां का दूसरा हिस्सा डूमरखां खुर्द के दोनों तालाब ओवरफ्लो हो चुके हैं और तालाब का पानी मेन गली में घुस गया है। आने-जाने का रास्ता बंद हो चुका है और कई तरह की बीमारियां जन्म ले रही हैं। इस तरह के माहौल के बीच रह रहे हैं, उस डूमरखां खुर्द के लोग जो तीन-तीन मंत्रियों का गांव कहा जाता है। राजनीति के चाणक्य और बांगर के शेर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी इस समस्या से वाकिफ हैं लेकिन इसका समाधान करने में वह या तो बेबस हैं या फिर ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने में उनकी कोई रुचि नहीं है।
गांव से निकली हैं बड़ी हस्तियां
150 साल पहले बसे गांव डूमरखां से स्वतंत्रता सेनानी से लेकर राजनीतिक चाणक्य तक निकले हैं। जिले की महिला आईएएस जयवंती श्योकंद, उनके आईएएस पुत्र यशेंद्र सिंह और आईपीएस बेटी स्मृति चौधरी भी इसी गांव से हैं। स्वतंत्रता सेनानी फूला राम व दूना सिंह से लेकर विधायक स्व. चौधरी नेकी राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, वर्तमान सांसद बृजेंद्र सिंह, विधायक प्रेमलता डूमरखां कलां से हैं। अपने क्षेत्र में विकास का दावा करने वाले यह मंत्री अपने गांव की समस्या का समाधान भी नहीं कर पा रहे हैं।
राजनीति की भेंट चढ़ रहा गांव का विकास
डूमरखां खुर्द के जसविद्र श्योकंद, सुरेंद्र मिस्त्री, राजेश कुमार, कृष्ण, सतबीर, राममेहर, प्रवीण का कहना है कि उनके गांव का विकास राजनीति की भेंट चढ़ रहा है। चूंकि जिस क्षेत्र में तालाब का पानी ओवरफ्लो होकर गलियों में घुसा है, वह एक विशेष पार्टी बाहुल्य है। गांव के बड़े चौधरी तथा नेता दूसरी पार्टी से हैं, इसलिए उनके क्षेत्र का विकास जान-बूझकर रोका जा रहा है। पिछले चार साल से वह इस गंदगी का दंश झेल रहे हैं लेकिन उनकी कहीं पर भी सुनवाई नहीं हो रही।
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने दिया था आश्वासन, नहीं हुआ समाधान
जसविद्र श्योकंद ने बताया कि डेढ़-दो साल पहले जब सीमएम मनोहर लाल उनके गांव में आए थे तो उन्होंने अपनी समस्या रखी थी, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन समाधान नहीं हो पाया। अब दोबारा से सीएम आ रहे हैं लेकिन उनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। बीरेंद्र सिंह ने उनकी समस्या को देख कर भी अनदेखा कर दिया। पूरे प्रदेश में विकास का ढिढोरा पीटने वाले मंत्रियों के साथ दीया तले अंधेरा वाली बात हो रही है। खुद के गांव में विकास के लिए लोग तरस रहे हैं और दावे पूरे क्षेत्र में विकास के किए जा रहे हैं।