रक्तचाप विशेष : जीवनशैली में बदलाव से हाइपरटेंशन के मरीजों की बढ़ रही संख्या
जीवनशैली में आ रहे बदलाव के चलते लोग हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप की चपेट में आ रहे हैं। जीवनशैली में अचानक आए बदलाव की वजह से नागरिक अस्पताल ही नहीं निजी में भी उच्च रक्तचाप से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
जागरण संवाददाता, जींद : जीवनशैली में आ रहे बदलाव के चलते लोग हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप की चपेट में आ रहे हैं। जीवनशैली में अचानक आए बदलाव की वजह से नागरिक अस्पताल ही नहीं, निजी में भी उच्च रक्तचाप से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
नागरिक अस्पताल में चेकअप के दौरान हर दूसरे मरीज को उच्च रक्तचाप मिलता है। प्रतिदिन 80 से 90 मरीजों के रक्तचाप की जांच होती है। इसमें से 20 से 25 मरीजों का ब्लड प्रेशर हाई होता है। उच्च रक्तचाप की बीमारी तो बढ़ रही है, लेकिन लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता नहीं बढ़ी है। इसके अलावा अस्पतालों में इलाज के लिए सुविधाओं का भी अभाव है।
चिकित्सकों का कहना है कि 35-44 वर्ष की उम्र वाले जो लोग अभी उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं वे 10 से 15 सालों बाद हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर, लकवा आदि बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। दिक्कत यह है कि अस्पताल व सरकार का ध्यान मरीजों के इलाज पर अधिक है, बीमारियों की रोकथाम पर नहीं। जबकि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर कई गंभीर बीमारियों से बचाव संभव है।
बच्चे भी आ रहे चपेट में
चिकित्सकों का कहना है कि आमतौर पर पहले 40 या इससे अधिक आयु वर्ग के लोगों में रक्तचाप की समस्या रहती थी। पिछले आठ दस साल में यह समस्या बच्चों में भी आम होने लगी है। धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए शारीरिक व्यायाम, संतुलित खानपान अपनाने से ही काफी बचाव किया जा सकता है। बीपी का बढ़ना युवाओं द्वारा धूम्रपान व अधिक नशा करना प्रमुख कारण हो सकता है।
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डाइट और लाइफ स्टाइल को संतुलित करने से रक्तचाप की समस्या से कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है। लोगों को अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना चाहिए। खानपान पर उचित ध्यान देना चाहिए। सुबह व शाम को व्यायाम करना चाहिए तथा सैर करनी चाहिए। तनाव कम लेना चाहिए तथा धूमपान से बचना चाहिए। समय-समय पर रक्तचाप के मरीजों को डाक्टरों की सलाह लेनी चाहिए।
-डॉ. राजेश भोला, डिप्टी एमएस नागरिक अस्पताल जींद
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उच्च रक्तचाप के लक्षण
-लगातार चक्कर आना
-उल्टी आना
-हमेशा सिर दर्द होना
-नींद में कमी आना
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क्या है खतरा
उच्च रक्तचाप में धमनियां कड़ी होकर संकुचित हो जाती है, जिससे ह्दय या मस्तिष्क तक रक्त के पहुंचने में रुकावट आती है और दिल का दौरा पड़ता है।
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कैसे रखा जाए नियंत्रण
-प्रात: निश्चित रूप से व्यायाम करें।
-नमक का सेवन कम करें।
-संतुलित भोजन लें।
-थोड़ी देर के लिए सैर जरूर करें।
-धूमपान से परहेज करें।
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हर वर्ष 17 मई को मनाया जाता है उच्च रक्तचाप दिवस
वैश्विक जागरुकता अभियान के तहत विश्व हाइपरटेंशन लीग के माध्यम से वर्ष 2005 से जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके तहत प्रत्येक वर्ष 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है।