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नेताओं पर विकास के लिए दबाव बनाए जनता

वर्ष 1966 में अस्तित्व में आया जींद जिले में अब भी समस्याओं की भरमार है। शहर की सड़कें टूटी हुई हैं। पीने के लिए पानी नहीं है। तकनीकी शिक्षा के लिए कोई संस्थान नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए यूनिवर्सिटी बना दी गई है, लेकिन न तो उसमें पूरे कोर्स हैं और न स्थायी टी¨चग स्टाफ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 12:43 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:43 AM (IST)
नेताओं पर विकास के लिए दबाव बनाए जनता
नेताओं पर विकास के लिए दबाव बनाए जनता

जागरण संवाददाता, जींद : वर्ष 1966 में अस्तित्व में आया जींद जिले में अब भी समस्याओं की भरमार है। शहर की सड़कें टूटी हुई हैं। पीने के लिए पानी नहीं है। तकनीकी शिक्षा के लिए कोई संस्थान नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए यूनिवर्सिटी बना दी गई है, लेकिन न तो उसमें पूरे कोर्स हैं और न स्थायी टी¨चग स्टाफ है। स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सबसे खस्ता है। शिक्षा और स्वास्थ्य की तरफ विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार तभी होगा, जब जींद में मेडिकल कॉलेज बन जाएगा। सरकारी अस्पताल में अभी एक-तिहाई सीटें खाली पड़ी हैं। इन्हें भरना सरकार के लिए चुनौती है। जब मेडिकल कॉलेज बन जाएगा तो यहीं से डॉक्टर निकलने लग जाएंगे, इसके बाद ही स्वास्थ्य सेवाओं के हालात सुधरेंगे। किसी भी शहर का विकास तभी होगा, जब बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा। अब चुनावों में दिक्कत यह है कि राजनेता लोगों को जात-पात में फंसा लेते हैं। वोटर भी उसी बयार में बह जाते हैं। जब तक वोटर जागरूक नहीं होगा, तब तक इलाके का विकास नहीं होगा। जनता को नेताओं से विकास पर जवाब मांगना चाहिए। उन पर दबाव बनाना चाहिए।

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जींद उपचुनाव में जितने भी प्रमुख दल चुनाव लड़ रहे हैं, किसी न किसी दौर में वे सत्ता में रहे हैं। जनता को पूछना चाहिए कि जब आप सरकार में थे, तब काम क्यों नहीं किए। नेताओं ने जींद की जनता को दुधारू गाय समझ रखा है। अब जींद में दूध निकालेंगे और दिल्ली में अपने आकाओं को दिखा देंगे। जींद की जागरूक जनता को यह चलन बंद करना होगा। जनता को सरकार की सभी सुविधाएं मिलें, इसके लिए हर हलके में सरकारी एमएलए हाउस बनाए जाने चाहिए। हफ्ते में एक, दो या तीन दिन फिक्स हों कि एमएलए वहां बैठकर जनता की समस्याएं सुनेगा।

डॉ. रमेंद्र कालीरमण, रेडियोलॉजिस्ट, जींद।


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