अफसरों की गैरहाजिरी पर पार्षद बोले: विकास पर किससे पूछें सवाल
विधानसभा की तर्ज पहली बार जिला परिषद का दो दिवसीय सत्र वीरवार को शुरू हुआ। पहले ही दिन कुल 26 पार्षदों में से प्रधान प्रवीन घणघस समेत 15 पार्षद अनुपस्थित रहे।
जागरण संवाददाता, जींद : विधानसभा की तर्ज पहली बार जिला परिषद का दो दिवसीय सत्र वीरवार को शुरू हुआ। पहले ही दिन कुल 26 पार्षदों में से प्रधान प्रवीन घणघस समेत 15 पार्षद अनुपस्थित रहे। सत्र के लिए कुल 32 अधिकारियों को चिट्ठी लिखी गई थी, लेकिन महिला एवं बाल विकास अधिकारी, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक, जिला उद्यान अधिकारी को छोड़कर 29 अधिकारी व कर्मचारी गैरहाजिर रहे। मीटिग के बाद जिला परिषद के सीइओ ने सभी गैरहाजिर अधिकारियों व कर्मचारियों पर नियमानुसार कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिखकर विकास एवं पंचायत विभाग के डायरेक्टर व डीसी को भेजी गई। वहीं, स्वास्थ्य कारणों से गैरहाजिर रही जिला परिषद प्रधान की जगह उपप्रधान उमेद सिंह रेढू ने मीटिग की अध्यक्षता की।
अधिकारियों की अनुपस्थिति पर पार्षदों ने खासी नाराजगी दिखाई। पार्षदों ने लंबे समय से ग्रांट वितरण पर मुख्यालय से लगी रोक के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए रोष जताया और रोक हटवाने के लिए प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया। साथ ही, पंचायती राज समेत सत्र में नहीं आने वाले विभिन्न विभागों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव पार्षदों ने रखा। पार्षद अमित निडानी ने जिला परिषद के कामों पर लगी रोक के लिए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का नाम लिए बगैर कहा कि विभाग के मंत्री के हस्तक्षेप से कामों पर रोक लगी हुई है। सत्र के दूसरे दिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, स्वच्छ भारत मिशन व कई अन्य केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्र में विकास करवाने को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा।
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जून में जिला परिषद के कामों पर लगी थी रोक
जजपा के जिलाध्यक्ष कृष्ण राठी ने तीन जून को उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को पत्र लिख कर साहनपुर गांव में स्वागत द्वार व नाला निर्माण में सरकारी राशि का दुरुपयोग व जिला परिषद प्रधान द्वारा पद का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए गए थे। 23 जून को पूर्व जिला परिषद प्रधान पदमा सिगला ने भी विकास एवं पंचायत विभाग को शिकायत कर ग्रांट वितरण में बंदरबांट के आरोप लगाए थे। जिसके बाद विकास एवं पंचायत विभाग निदेशक ने जिला परिषद द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों पर रोक लगाते हुए जांच के निर्देश दिए थे। उसके बाद जिला परिषद की अगस्त में हुई मीटिग में 5.38 करोड़ रुपये की ग्रांट वितरण का प्रस्ताव पास हुआ था। लेकिन अभी तक इस ग्रांट का भी वितरण नहीं हो सका है। ---------------
महिला पार्षदों के पति भी रहे सत्र में मौजूद
सत्र में महिला पार्षदों की जगह उनके पति नजर आए। प्रधान प्रवीन घणघस के पति नरेंद्र घणघस सत्र की कार्यवाही के दौरान मौजूद रहे और उप प्रधान, जिला परिषद सीईओ के साथ सामने मंच पर बैठे थे। वहीं कुछ महिला पार्षदों के साथ उनके पति भी अंदर मौजूद रहे। महिला पार्षदों की जगह उनके पतियों ने ही सवाल पूछे। ----------------- पार्षदों ने रखे सवाल
--पांच साल में जितने भी प्रस्ताव पारित हुए हैं, उनमें से कितने कार्य हुए और कितने नहीं हुए। इनकी जानकारी अधिकारियों से मांगी गई है।
--मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों की जानकारी मांगी। पार्षदों ने आरोप लगाया कि जेई व एसडीओ मनरेगा के कामों का एस्टीमेट नहीं बनाते। अधिकारी काम में रुचि नहीं लेते।
--महिलाओं के अधिकारों पर बात हुई, महिला पार्षद पिकी ढाकल ने कहा कि आंगनबाड़ियों में शौचालय व अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त हो।
--पार्षदों ने कहा कि वे ग्रांट के समान वितरण पर सहमत है। अगर कोई अधिकारी किसी दबाव में पार्षद की ग्रांट काटता है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारी को ग्रांट काटने का कोई हक नहीं है।
--पार्षद बलजीत लांबा ने कहा कि अनुसूचित वर्ग से संबंधित सरकार की योजनाओं को अधिकारी जमीनी स्तर पर लागू नहीं करते हैं। संबंधित योजनाओं की जानकारी दी जाए। सीईओ दलबीर सिंह ने अधिकारियों को सत्र के दूसरे दिन योजनाओं की जानकारी देने के निर्देश दिए।
--सत्र की अध्यक्षता कर रहे उप प्रधान उमेद सिंह रेढू ने जिला परिषद अधिकारियों से जानकारी मांगी कि अब तक कितने पशु शेड बनाए गए हैं। कितने शेड बनाने हैं और ये कब तक बनाए जाएंगे।
--नए कृषि कानूनों को लेकर पार्षद अमित निडानी ध्यान आकर्षण प्रस्ताव लाए और इन कानूनों को रद करने की मांग की।
--वार्ड नंबर 14 के जिला पार्षद सतपाल ने अपने वार्ड को पॉलीथिन मुक्त बनाने का प्रस्ताव रखा। गांव-गांव जाकर अभियान चलाया जाएगा। उनके द्वारा वार्ड में कपड़े के बैग बांटने के लिए तैयार करवाए जा रहे हैं।
---------------- जिला परिषद की दुकानों के किराये में कटौती
जिला परिषद के सीईओ दलबीर सिंह ने पहले दिन का सत्र समाप्त होने के बाद बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास को लेकर सत्र में जिला पार्षदों द्वारा कई अहम निर्णय लिए गए हैं। जिला परिषद की दुकानों के किराये में प्रतिमाह एक हजार रुपये की कटौती की गई है। यह निर्णय कोरोना काल को देखते हुए दुकानदारों को राहत प्रदान करने के लिए लिया गया है। मार्च से दिसंबर तक किराए में यह छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा दुकानों का तीन माह का किराया माफ करने की अनुमति लेने के लिए प्रस्ताव सरकार को भिजवा दिया गया है।