पार्षद बोले-प्रधान समर्थित पार्षदों पर कार्रवाई में देरी कर रहा प्रशासन
-13 पार्षदों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए सवाल कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी
-13 पार्षदों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए सवाल, कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी
-विरोधी पार्षदों का आरोप, सरकार के दबाव में प्रधान के इशारे पर काम कर रहा प्रशासन
फोटो : 34
जागरण संवाददाता, जींद : नगर परिषद में सियासी खींचतान जारी है। प्रधान समर्थित दो पार्षद कर्मबीर मोना और राममेहर ठेकेदार जिनके खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थानीय निकाय विभाग के पास फाइल गई हुई है। उसमें नगर परिषद प्रधान विरोधी पार्षदों ने प्रधान व सरकार के इशारे पर जान बूझकर कार्रवाई में देरी के आरोप लगाए हैं। वीरवार को 13 पार्षदों ने एक निजी होटल में मीटिग की। मीटिग के वीरवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पार्षद जिले सिंह जागलान, प्रवीन बेनिवाल, पूर्व प्रधान विनोद आसरी व अन्य पार्षदों ने कहा कि पार्षद राममेहर ने जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है। जिसकी जांच हो चुकी है और जिला नगर आयुक्त उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट निदेशक को भेज चुके हैं। लेकिन अभी तक उनकी सदस्यता रद नहीं की गई। जबकि जनवरी में नरवाना में पार्षद कृष्ण मोर के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप थे। उनकी सदस्यता तुरंत खत्म कर दी गई। वहीं वार्ड पांच के पार्षद कर्मबीर मोना ने पीएमएवाई के तहत गलत तरीके से खुद लाभ लिया और अपने भाई को भी लाभ दिलाया। जबकि एक पार्षद इसका लाभ नहीं ले सकता। उनके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए निदेशक को रिपोर्ट भेजी हुई है। लेकिन उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं वार्ड छह के पार्षद उप प्रधान सुभाष जांगड़ा जो एक मामले में जेल में हैं और उनका मामला विचाराधीन है। उन्हें सजा नहीं हुई है। इसके बावजूद उसकी सदस्यता रद करने के लिए प्रशासन रिपोर्ट मांग रहा है।
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कई माह से नहीं बुलाई मीटिग
पार्षदों ने कहा कि नियमानुसार हर महीने नगरपरिषद के पार्षदों की मीटिग होनी चाहिए, लेकिन पिछले लंबे समय से कोई मीटिग नहीं हुई है। प्रधान पूनम सैनी भी कई माह से कार्यालय नहीं आ रहीं, जिससे रूटीन के काम प्रभावित हो रहे हैं। वहीं मीटिग नहीं होने के कारण विकास कार्य ठप पड़े हैं। अमरूत योजना के तहत पाइप दबाने के लिए पूरे शहर को खोद डाला। जिसे ठीक नहीं किया गया। स्कीम पांच-छह की सड़कें भी उखाड़ी हुई हैं। प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। करीब दो माह पहले विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा ने जिला विकास समन्वयक एवं निगरानी कमेटी की बैठक में नगर परिषद में भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। जिसमें सांसद रमेश कौशिक ने जांच के आदेश दिए थे। लेकिन उसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनकी सुनवाई नहीं होने पर पार्षदों ने आंदोलन करने की भी चेतावनी दी।
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पार्षदों की सदस्यता महत्वपूर्ण क्यों
18 सितंबर को प्रधान पूनम सैनी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए 21 पार्षदों की तरफ से डीसी को शपथ पत्र दिए गए थे। कुछ दिन पहले वार्ड 30 के पार्षद राममेहर ने अपना शपथ पत्र वापस ले लिया। जिससे विरोधियों के पास केवल 20 पार्षद रह गए। जबकि दो तिहाई बहुमत के लिए 21 पार्षद चाहिए। तभी प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है। अगर पार्षद राममेहर और कर्मबीर मोना की सदस्यता खत्म हो जाती है, तो नगर परिषद में पार्षदों की संख्या 29 रह जाएगी और प्रधान के खेमे में भी पार्षदों की संख्या 11 से घट कर नौ रह जाएगी। जबकि उसे कुर्सी बचाने के लिए एक तिहाई बहुमत के लिए 10 पार्षदों के साथ की जरूरत होगी। वहीं पार्षद सुभाष जांगड़ा विरोधी खेमे में हैं।
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पार्टी के साथ आने से मजबूत हुर्इं प्रधान
17 जुलाई को ईओ डा. एसके चौहान के साथ प्रधान पति बीजेपी नेता जवाहर सैनी व पार्षद काला सैनी का विवाद हुआ था। इस मामले में ईओ की शिकायत पर जवाहर और काला सैनी के खिलाफ मामला भी दर्ज है। इस विवाद के बाद विरोधी खेमे ने प्रधान को कुर्सी से हटाने के लिए उसके समर्थित पार्षदों को अपने पाले में लाना शुरू कर दिया। इस कार्य में पर्दे के पीछे से बीजेपी के एक प्रभावी नेता का भी सहयोग मिला। 18 अक्टूबर को अविश्वास प्रस्ताव के लिए डीसी को शपथ पत्र दिया गया। जिससे प्रधान पूनम सैनी की कुर्सी खतरे में पड़ गई। लेकिन सोमवार को बीजेपी जिला प्रधान राजू मोर पार्षद राममेहर का शपथ पत्र वापस दिलाने के लिए उन्हें लेकर डीसी से मिले। जिसके बाद समीकरण बदले।
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मुख्यालय भेजी हुई है फाइल : डीएमसी
इस मामले में जिला नगर आयुक्त डा. सुशील कुमार ने बताया कि पार्षद राममेहर और कर्मबीर मोना के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट मुख्यालय भेजी हुई है। अब जो भी कार्रवाई करनी है, वो मुख्यालय के स्तर पर होनी है। इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता सकते।