चितन से सुलझती है जीवन की जटिलता: मुनि प्रणीत
रामराय गेट स्थित जैन स्थानक मुनिश्री प्रणीत ने चिता और चितन पर चर्चा करते हुए कहा कि चिता चिता के समान होती है। आदमी की जटिल समस्याओं को समाधान में बदलना है।
जागरण संवाददाता, जींद : रामराय गेट स्थित जैन स्थानक मुनिश्री प्रणीत ने चिता और चितन पर चर्चा करते हुए कहा कि चिता चिता के समान होती है। आदमी की जटिल समस्याओं को समाधान में बदलना है। चितन का सहारा लेकर जीवन को परिवर्तन करना है। आज मानव के पास चितन का अभाव है। इसी कारण आदमी परेशान रहता है। समस्याएं ज्यादा बड़ी नहीं होती। बस सही प्रयोग-उपयोग के अभाव में जीवन को और मुश्किल में डाल लेता है। जैसे कोई सूअर कीचड़ में फंस जाता है। उस कीचड़ में ज्यादा कशमकश करेगा तो उसे और ज्यादा दुविधा हो जाएगी। आपने ग्रामीण माहौल में बड़े-बुजुर्ग देखे होंगे। उनका अधिकतर समय छोटी-छोटी रस्सियां सुलझाने में लग जाता है। बड़े प्रेम प्यार से अपने रिश्तों को सुलझाओगे तो रिश्ते सुलझ जाएगे, वर्ना जिदगी भर परेशानी पर परेशान बनी रहेगी। एक विद्यार्थी से पूछा गया, बताओ अकल बड़ी या भैंस। विद्यार्थी उस प्रश्न का सही उत्तर शायद नहीं दे पाया। मगर सही उत्तर तो यही है कि अक्ल बड़ी होती है। अक्ल से ही हम शेर को पिजरे में बंद कर देते हैं तथा खूंखार जानवरों को भी काबू कर लेते हैं। दु:ख की बात हम अपने रिश्तों को नहीं समझ पाते। चितन के अभाव में बहुत कुछ जीवन का हिस्सा गड़बड़ा जाता है। आदमी जितना चेतना के करीब होता है, उतना सरलता के करीब होता है। मुनिश्री ने कहा बाहरी और भीतरी वातावरण को सुधारने के लिए आपके पास चितन की पूंजी होनी चाहिए। मुनि अजीत ने कहा कि बिना पूछने पर आप सलाह देंगे तो आपको भारी पड़ सकती है। बिना पूछे सलाह न दें। ये एक रिश्ते की प्राथमिकता है। इस अवसर पर प्रधान पीसी जैन, सुरेश जैन, विनोद जैन, विनय जैन, नवीन जैन सिरसा, डीआर जैन, प्रकाश जैन, आनंद जैन, अमित नंदी, रजनीश जैन, विनोद जैन, रामचन्द्र जैन, सुशील जैन आदि उपस्थित रहे।