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मुख्यमंत्री ने खारिज किया था जुलाना को बाढ़ से बचाने का प्रपोजल: ढुल

जागरण संवाददाता, जींद जुलाना से इनेलो विधायक परमेंद्र ¨सह ढुल ने जुलाना में जलभराव के लिए प्र

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 11:18 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 11:18 PM (IST)
मुख्यमंत्री ने खारिज किया था जुलाना को बाढ़ से बचाने का प्रपोजल: ढुल
मुख्यमंत्री ने खारिज किया था जुलाना को बाढ़ से बचाने का प्रपोजल: ढुल

जागरण संवाददाता, जींद

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जुलाना से इनेलो विधायक परमेंद्र ¨सह ढुल ने जुलाना में जलभराव के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया है। ढुल ने कहा कि जुलाना में प्राकृतिक त्रासदी न होकर मैन मेड त्रासदी है। उन्होंने प्रदेश सरकार को 25 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाकर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। इसलिए आज हजारों एकड़ में खड़ी फसल पानी में डूब गई है।

शनिवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में परमेंद्र ढुल ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को साथ लेकर जुलाना हलके को बाढ़ राहत से बचाने के लिए एजेंडा तैयार करवाया था। इस एजेंडे को डीसी के जरिए मुख्यमंत्री के पास भिजवाया था, जो ¨सचाई मंत्रालय भी देख रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने इस एजेंडे को फालतू बताते हुए रिजेक्ट कर दिया। इस एजेंडे के तहत जुलाना हलके को बाढ़ से राहत दिलाने के लिए 928 लाख रुपये की लागत से निजामपुर-भैरोंखेड़ा-रामकली ड्रेन को पक्का किया जाना था। पड़ाना ड्रेन के पाइप व स्लैब भी बदले जाने थे। कालवा-किनाना ड्रेन के एक हिस्से को एक करोड़ रुपये की लागत से पक्का किया जाना था। इन सब कार्यों के अलावा 781 लाख रुपये की लागत से लिजवाना-पौली ड्रेन की क्षमता बढ़ाने के साथ इसके एक सिरे को बढ़ाकर भिवानी ब्रांच तक लेकर जाना था। 386 लाख रुपये से पड़ाना ड्रेन के एक बड़े हिस्से का पुनर्निर्माण किया जाना था। 84 लाख रुपये से नन्दगढ़-सिरसाखेड़ी ड्रेन का पुनर्निर्माण किया जाना था और 241 लाख रुपये से मेहरड़ा ड्रेन की क्षमता बढ़ाई जानी थी।

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कांग्रेस-भाजपा करती रही भेदभाव

परमेंद्र ढुल ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और भाजपा सरकार जुलाना हलके के साथ भेदभाव कर रही है। कांग्रेस शासन में ही लिजवाना-पौली ड्रेन के हिस्से को तथा पौली ड्रेन के दो एकड़ हिस्से को रोहतकवासियों की मांग पर अधूरा छोड़ दिया गया था। पूर्व सरकार ने जुलाना के साथ राजनीतिक द्वेष की शुरुआत की थी। इससे पहले इनेलो शासन में मंजूर हुई मेहरड़ा ड्रेन की एक्सटेंशन को भी कांग्रेस शासन में राजनीतिक भेदभाव के चलते गैरजरूरी बताते हुए खारिज किया गया था।


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