पाइप लाइनों की जांच के लिए चंडीगढ़ से आए चीफ इंजीनियर, पाइप उखड़वाकर लिए सैंपल
शहर में अमृत योजना के तहत पाइप लाइन दबाने में गड़बड़ी की शिकायत पर जांच करने के लिए रविवार को चंडीगढ़ से टीम पहुंची।
जागरण संवाददाता, जींद : शहर में अमृत योजना के तहत पाइप लाइन दबाने में गड़बड़ी की शिकायत पर जांच करने के लिए रविवार को चंडीगढ़ से टीम पहुंची। टीम ने तीन जगह पाइप लाइनों की खुदाई कर पाइप के नीचे बिछाए गए बेड की पैमाइश की और इसमें प्रयोग की जा रही सामग्री के सैंपल लिए। वहीं दबाए जा रहे पाइप को तोड़ कर उसकी गुणवत्ता की जांच की। पाइप के नीचे बिछाए गए बेड की ऊंचाई निर्धारित मानकों पर सही पाई गई। वहीं इसमें प्रयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता सही है या नहीं, इसके लिए सैंपल लैब भेजे जाएंगे। स्थानीय निकाय विभाग से जांच के पहुंचे चीफ इंजीनियर ओपी गोयल के साथ एडीसी डॉ. मुनीष नागपाल, डीसी के पीए एवं नगर परिषद सेक्रेटरी प्रवीन परूथी, एमई बलराज ¨सगला व एमई सतीश गर्ग मौके पर मौजूद रहे।
करीब 20 करोड़ की लागत से शहर में बरसाती पानी की निकासी के लिए अमृत योजना के तहत पाइप लाइन दबाई जा रही है। विरोधी पार्षदों ने दबाई जा रही पाइप लाइन में नियमों की अनदेखी करने, बगैर लेवल जांच किए पाइप दबाने व घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग करने के आरोप लगाते हुए विजिलेंस जांच की मांग की थी और पीएम व सीएम के नाम शिकायत भेजी थी। शिकायत के बाद जांच के लिए चीफ इंजीनियर रविवार जींद पहुंचे और उन्होंने सबसे पहले सफीदों रोड पर सैनी धर्मशाला के पास दो जगह पाइप लाइन को उखड़वा कर जांच की। यहां सैंपल लेने के बाद टीम सब्जी मंडी के पास गई और वहां भी एक जगह पाइप लाइन को खुदवा कर जांच की। चीफ इंजीनियर के अनुसार शुरुआती जांच में कोई खामी नहीं पाई गई है। पाइप लाइन के नीचे रोड़ी, सीमेंट व अन्य सामग्री का चार इंच का बेड बिछाना था, जांच में बेड का साइज साढ़े पांच इंच से भी ज्यादा पाया गया।
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जांच के नाम पर लीपापोती
पाइप लाइन दबाने में गड़बड़ी की शिकायत करने वाले विरोधी पार्षदों ने जांच पर सवाल उठाए हैं। पूर्व नगर परिषद प्रधान विनोद आसरी ने कहा कि जांच के नाम पर लीपापोती की गई है। नियमानुसार शिकायतकर्ता को मौके पर बुलाना चाहिए था, लेकिन उन्हें जांच के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई। बारिश के मौसम में अचानक आकर जांच के नाम खाना-पूर्ति करके अधिकारी चले गए। ये सब नगर परिषद प्रधान के पति एवं बीजेपी प्रदेश सचिव जवाहर सैनी के प्रभाव के चलते हो रहा है। अगर उन्हें मौके पर बुलाया जाता, तो वे बताते कि कहां गड़बड़ी हुई है।
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नहीं हो सकी लेवल की जांच
शिकायत में विरोधी पार्षदों ने बगैर लेवल जांच किए पाइप बिछाने का आरोप लगाया था। पाइपों में बारिश का पानी भरा होने के कारण लेवल की जांच नहीं हो सकी। चीफ इंजीनियर के अनुसार पाइपों के अंदर टॉर्च की रोशनी से लेवल जांचा जाता है। पाइप खाली होने पर ही लेवल का पता लगाया जा सकता है।
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पाइप में प्रयोग लोहे का वजन मापा
पाइप लाइन दबाने में प्रयोग किए जा रहे एक पाइप को तोड़ कर उसमें मिले लोहे का वजन किया गया। अधिकारियों के अनुसार एक पाइप में करीब 12 किलो 400 ग्राम वजन मिलना चाहिए। लोहे को जब परचून की दुकान पर ले जाकर तोला गया, तो उसमें लगभग 12 किलो 900 ग्राम वजन मिला। इससे चीफ इंजीनियर संतुष्ट नजर आए।
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जांच के लिए लैब भेजे जाएंगे सैंपल
शिकायत मिलने पर दबाई गई पाइप लाइन की जांच की गई है। तीन जगह से पाइप लाइन को खुदवा कर नीचे बिछाए गए बेड को जांचा। बेड का साइज सही है। प्रयोग की सामग्री की गुणवता मानकों के अनुसार है या नहीं, इसका पता लैब जांच के बाद ही पता चल सकेगा। सैंपल लिए गए हैं, जिन्हें लैब भेजा जाएगा। अगर सैंपल में गुणवत्ता खराब पाई जाती है, तो ठेकेदार की पेमेंट रोक कर दूसरे ठेकेदार से काम कराया जाएगा।
ओपी गोयल, चीफ इंजीनियर, स्थानीय निकाय विभाग