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मोदी सरकार का संतुलित रवैया ही चीन को दुनिया से अलग-थलग करेगा : डा. वेद प्रताप वैदिक

भारतीय विदेश नीति परिषद के चेयरमैन डा. वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि चीन ने पश्चिम का अंधाधुंध अनुसरण करके अपनी अर्थव्यवस्था को बेशक ऊपर उठा लिया हो। लेकिन उसने अपने समाज की खुशी और वहां के सामाजिक मूल्यों से समझौता किया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 09:54 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 09:54 AM (IST)
मोदी सरकार का संतुलित रवैया ही चीन को दुनिया से अलग-थलग करेगा : डा. वेद प्रताप वैदिक
मोदी सरकार का संतुलित रवैया ही चीन को दुनिया से अलग-थलग करेगा : डा. वेद प्रताप वैदिक

जागरण संवाददाता, जींद : भारतीय विदेश नीति परिषद के चेयरमैन डा. वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि चीन ने पश्चिम का अंधाधुंध अनुसरण करके अपनी अर्थव्यवस्था को बेशक ऊपर उठा लिया हो। लेकिन उसने अपने समाज की खुशी और वहां के सामाजिक मूल्यों से समझौता किया है। जो चीन को भारी पड़ेगा। मंगलवार को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के कॉमर्स, मैनेजमेंट एवं सेंट्रल लाइब्रेरी द्वारा समाज विज्ञान में शोध पद्धति विषय पर आयोजित सात दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित करते हुए डा. वैदिक ने आज के भारत की क्षमताओं पर विश्वास करते हुए शोधकर्ताओं और शिक्षकों को सलाह दी कि समाज विज्ञान में बुनियादी शोध की आवश्यकता है। जिसके लिए कार्य और कारण का संबंध ढूंढे बगैर शोध की गुणवत्ता नहीं बढ़ाई जा सकती। शोधकर्ताओं में दार्शनिक रवैया होने की आवश्यकता है। चुनाव, आरक्षण जैसे मुद्दों पर मौलिक शोध किया जाना चाहिए। अमेरिका की पूंजीवादी और चीन की साम्यवादी नीतियों की बजाय भारत की पारंपरिक सोच पर आधारित विदेश नीति ही चीन की महाजनी नीति को परास्त करेगी। मोदी सरकार का चीन के प्रति जो संतुलित रवैया है, वो चीन को दुनिया से अलग-थलग करने के लिए एकमात्र विकल्प है। भारत का आध्यात्मिक रास्ता ही सभ्य रास्ता है। कार्यशाला में फेसबुक एवं यूट्यूब के माध्यम से लगभग एक हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिसमें सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से शोधकर्ता व विशेषज्ञ मौजूद रहे।

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बढ़ेगा अनुसंधान का दायरा

वीसी प्रो. आरबी सोलंकी ने कहा कि कोविड-19 के बाद अनुसंधान का दायरा और ज्यादा व्यापक होगा। देश के अंदर विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान होने चाहिए। शिक्षण संस्थानों और फैकल्टी में सहयोग, अंतर विषय शोध व पढ़ने-पढ़ाने तथा मूल्यांकन के तौर तरीकों पर भी शोध करने की आवश्यकता है। रजिस्ट्रार प्रो. राजेश पूनिया ने बताया कि कार्यशाला में श्रीलंका, सऊदी अरब, नेपाल, इराक, फिलिपिस जैसे देशों से प्रतिभागी जुड़े हुए हैं, जोकि सीआरएसयू की अनूठी पहल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्शाता है। इस दौरान कार्यशाला निदेशक एवं डीन ऑफ एकेडमिक अफेयर्स प्रो. एसके सिन्हा, विशिष्ट अतिथि श्रीरामा हिमालयन यूनिवर्सिटी उत्तराखंड से प्रो. आलोक सकलानी, सेंट्रल लाइब्रेरी विभाग से डा. अनिल कुमार मौजूद रहे।


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