गुरु गोबिंद सिंह के शहीद बच्चों की याद में मनाएं बाल दिवस, डीएवी स्कूल के बच्चे प्रधानमंत्री को भेजेंगे एक लाख चिट्ठी
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले बाल दिवस को गुरु गोबिद के शहीद बचों की याद में मनाने के लिए डीएवी स्कूलों के बचे व उनके अभिभावक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लाख चिट्ठी लिखेंगे।
जागरण संवाददाता, जींद : देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले बाल दिवस को गुरु गोबिद के शहीद बच्चों की याद में मनाने के लिए डीएवी स्कूलों के बच्चे व उनके अभिभावक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लाख चिट्ठी लिखेंगे। पहले चरण में मंगलवार को करीब 20 हजार चिट्ठियां प्रधानमंत्री के नाम लिखी गई हैं।
डीएवी स्कूल के प्रिसिपल डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बाल दिवस पर दिमाग में बुजुर्ग नेता नेहरूजी की छवि दिमाग में आती है। न तो वह बाल प्रधानमंत्री थे और न ही बालकपन में उन्होंने कोई ऐसा कारनामा किया, जिसके कारण उनकी याद में बाल दिवस मनाया जाए? जबकि हमारे पास बालवीर व बाल शहीदों का लंबा-चौड़ा इतिहास है। डॉ. विद्यार्थी ने कहा कि इतिहास में एक दो नहीं, सैकड़ों ऐसे वीर बालक हुए हैं, जिन्होंने हंसते-हंसते अपने प्राणों को देश के अर्पण कर दिया। उनमें सबसे छोटे मात्र 6 वर्ष की अवस्था के सरदार फतेह सिंह तथा 9 वर्ष की अवस्था के सरदार जोरावर सिंह को जिदा दीवारों में चुनवा दिया था। लेकिन वह मौत के भय से भी टस से मस न हुए। क्या इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण है? नहीं तो, क्यों न उनकी पुण्यतिथि या जन्म दिवस बाल दिवस के रूप में मनाया जाए। ताकि देश दुनिया के करोड़ों बालक देश धर्म की रक्षा की प्रेरणा ले सकें। ऐसे बाल शहीदों से हमारा इतिहास भरा पड़ा है, जिनमें वीर अभिमन्यु भक्त प्रहलाद हकीकत राय रघुनाथ, मैना कालीबाई, दतु रंगारी त्रिलोकीनाथ, शंकर भाई जैसे अनेक बालवीरों ने बचपन में ही अपनी शहादत देकर देश धर्म की रक्षा की।
पाठ्य पुस्तकों में शामिल हों बच्चों की कुर्बानी
डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि शहीद फतेह सिंह और जोरावर सिंह के नाम पर बाल दिवस घोषित करवाने के लिए बच्चों द्वारा पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा। हमने सुना है कि बच्चे बड़े शरारती हैं, बदमाश हैं, तोड़फोड़ करते हैं, कामचोर है। लेकिन यह कम सुनते हैं कि बच्चे बलिदानी हैं, वीर हैं, बहादुर हैं। हम कभी बच्चों की बहादुरी और वीरता पर गौर नहीं करते। डॉ. विद्यार्थी ने कहा कि उन्होंने एक पुस्तक छोटे बच्चे बड़े बलिदान नाम से लिखी है, जिसमें 52 बाल शहीदों की कुर्बानियों का विवरण दिया है। बाल दिवस मनाना है तो इन बहादुर शहीद बच्चों के नाम पर मनाना चाहिए। इनके गीत स्कूल की दीवारों पर और पाठ्य पुस्तकों में होने चाहिए।
20 हजार पत्र लिखे, 26 दिसंबर तक भेजेंगे एक लाख चिट्ठी
डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि जींद के बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 20,000 पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि संत फतेह सिंह और जोरावर सिंह जीके पुण्य दिवस को बाल दिवस घोषित किया जाए। अगले 26 दिसंबर पुण्य तिथि तक प्रदेश के बालक एक लाख पत्र प्रधानमंत्री को भेज कर आग्रह करेंगे ताकि शहीद बच्चों को उनका अधिकार मिले। उन्होंने आम आदमी का भी आह्वान किया कि वे इस मुहिम से सहमत हैं तो कलम उठाइए या मोबाइल क्लिक कर ट्वीट या दूसरे माध्यम से केंद्र सरकार तक यह संदेश पहुंचाएं।